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दिल्ली हाईकोर्ट ने शकील अब्बास की ‘द ताज स्टोरी’ पर रोक की याचिका खारिज की, जिसमें परेश रावल, सीबीएफसी और केंद्र सरकार पक्षकार थे. फिल्म पर ऐतिहासिक तथ्यों के गलत चित्रण का आरोप है.
‘द कश्मीर फाइल्स’ और ‘द बंगाल फाइल्स’ का जिक्र
याचिका में यह भी कहा गया कि फिल्म बनाने वाली टीम की पिछली फिल्में राजनीतिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देती रही हैं. उदाहरण के तौर पर याचिकाकर्ता ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ और ‘द बंगाल फाइल्स’ का जिक्र किया, जो पहले भी विवादित और राजनीतिक रूप से संवेदनशील रही हैं.
ऐतिहासिक तथ्यों का गलत चित्रण का आरोप
शकील अब्बास का तर्क था कि ‘द ताज स्टोरी’ भी उन्हीं उद्देश्यों को लेकर बनाई जा रही है और इसमें इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है. याचिका में फिल्म के ट्रेलर का हवाला देते हुए कहा गया कि ट्रेलर में कई ऐतिहासिक तथ्यों का गलत चित्रण किया गया है.
क्या है मांग
याचिकाकर्ता का कहना था कि सीबीएफसी ने ट्रेलर और फिल्म की सामग्री की जिम्मेदारी से जांच नहीं की, जिससे जनता में भ्रम पैदा हो सकता है. याचिकाकर्ता ने अदालत से फिल्म की सर्टिफिकेशन को दोबारा जांचने की मांग की थी. इसके अलावा यह भी कहा गया कि फिल्म में स्पष्ट डिस्क्लेमर (सावधानी नोटिस) जोड़ा जाए और यदि आवश्यक हो तो कुछ आपत्तिजनक दृश्य हटाए जाएं. हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया है.

न्यूज 18 हिंदी में सीनियर सब एडिटर के तौर पर काम कर रहीं वर्षा का डिजिटल मीडिया में 8 सालों का अनुभव है। एंटरटेनमेंट रिपोर्टिंग, लेखन, फिल्म रिव्यू, इंटरव्यू और विश्लेषण इनकी विशेषज्ञता है। वर्षा ने जामिया मिल्…और पढ़ें
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