सांकेतिक तस्वीर
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लोकसभा चुनाव में पहली बार गठबंधन की राजनीतिक पार्टियों के धड़े आपस में मिलकर एक दल की तरह काम करने की रणनीति बना रहे हैं। नगर सीट के चुनाव के लिए सपा और कांग्रेस के मुख्य संगठन के नेता तो आपस में बातचीत कर ही रहे हैं, नीचे के कार्यकर्ताओं को जोड़ने के लिए सहयोगी संगठन आपस में मिल गए हैं। सपाई और कांग्रेसी अब ऐसे काम करने में जुटे हैं, जैसे एक ही दल के कार्यकर्ता हों।
सियासी रणनीतिकार कहते हैं कि इसमें फायदा कांग्रेस को अधिक हो रहा है। उसे कार्यकर्ताओं की संख्या बल कम होने की कमी नहीं खलेगी। इससे आकलन किया जा रहा है कि जमीनी स्तर पर मजबूती आएगी। सपाइयों और कांग्रेसियों का फोकस तीन सहयोगी संगठनों पर अधिक है। पहला जोर अल्पसंख्यकों पर है। इसके साथ ही महिलाओं और छात्रों पर है। सपा अल्पसंख्यक सभा और कांग्रेस का अल्पसंख्यक विभाग, इसके साथ ही समाजवादी छात्र सभा के अलावा महिला सभाओं को सक्रिय कर दिया गया है।