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विस्तार
कंबोडिया में आईटी कंपनी की नौकरी के बहाने बुलाए गए युवाओं से साइबर ठगी कराई जाती है। साइबर ठगों के जाल से छूट कर आए दादरी के चिटहेड़ा गांव निवासी फैजल सैफी ने वहां पहुंचे युवाओं की दयनीय हालत की जानकारी दी है। फिलहाल दिल्ली में रह रहे फैजल के मुताबिक भारतीय युवकों को वहां रोटी तक नसीब नहीं होती। वहां के स्थानीय भोजन में कीड़े-मकोड़े तक होते हैं। जिन्हें भारतीय खा नहीं सकते।
फैजल ने बताया कि गौतमबुद्ध नगर के करीब 10 से 12 युवा अभी भी कंबोडिया की राजधानी नोमपेह में हैं। इन लोगों को दादरी निवासी विनोद भाटी ने आईटी कंपनी में नौकरी के नाम पर भेजा था। जबकि वहां उन्हें साइबर ठगी में धकेल दिया गया। भारत से गए लोगों को सबसे पहली समस्या वहां के खान-पान को लेकर होती है।
कंबोडिया के भोजन में स्थानीय प्रजाति के कीड़े मकोड़े भी शामिल रहते हैं। इसी भोजन को भारत से कई युवकों के सामने भी परोस दिया जाता है। बताया गया कि कुछ लोगों ने कई दिनों तक तो केवल सलाद खाकर ही गुजारा किया। जो नॉनवेज खा सकते हैं उनके लिए हालात थोड़े आसान रहते हैं।
एक कमरे में 10 से 15 लोग, फर्श पर सोते हैं
- नोएडा से भेजे गए युवाओं को अमानवीय हालात में रखा जाता है। एक कमरे में 10 से 15 या इससे अधिक लोग तक रहते हैं। सभी को बिना बेड के फर्श पर ही सोना होता है। कमरों में एसी नहीं लगे होते हैं। कमरों के बाहर परिसर में सीसीटीवी की निगरानी की जाती है।
निगरानी से अवसाद
फैजल के मुताबिक नोमपेह में 21 माले की इमारत की 16 वीं मंजिल पर कंपनी का कार्यालय था। इस फ्लोर से इधर उधर जाने की इजाजत नहीं थी। भारत से नौकरी के लिए गए युवक कड़ी निगरानी में रखे जाते थे। ऑफिस के समय उनको मोबाइल का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं थी। ऑफिस के बाद भी उनके मोबाइल हिस्ट्री पर निगरानी रखी जाती थी। लगातार हो रही निगरानी के चलते कुछ युवक मानसिक अवसाद की स्थिति में भी आ गए थे।
एक महीने पहले ग्रेनो में पकड़े थे गिरोह के सदस्य
एक माह पहले 3 मार्च को ग्रेटर नोएडा के थाना बिसरख क्षेत्र में साइबर ठगी गिरोह के तीन बदमाशों को गिरफ्तार किया गया था। इसमें चीन का नागरिक शामिल था जो बिना वीजा के भारत में रह रहा था। इसके अलावा एक नेपाल के नागरिक अनिल थापा और दादरी निवासी विनोद भाटी को गिरफ्तार किया गया था। आरोपियों से पूछताछ में कंबोडिया के साइबर ठगी होने की जानकारी मिली थी। गिरोह का सरगना कंबोडिया निवासी चीनी दंपती है। गिरोह का जाल 15 से ज्यादा देशों में फैला हुआ है। इसमें फ्रांस, अमेरिका, इटली, पुर्तगाल आदि अन्य देश शामिल हैं। जिस देश का सिम कार्ड हासिल हो जाता है उस देश में यह लोग ठगी करना शुरू कर देते हैं।
कंबोडिया में फंसे भारतीय नागरिकों से कराई जा रही साइबर ठगी
भारत सरकार कंबोडिया में फंसे 17 नागरिकों को वापस लाने में सफल हो गई। लेकिन वहां अभी भी दो हजार से अधिक लोग फंसे हैं। नौकरी के बहाने कंबोडिया ले जाकर भारतीय नागरिकों से साइबर ठगी की वारदात कराई जा रही है। पिछले दिनों बिसरख पुलिस ने एक साइबर गैंग को पकड़ा था, जिसका कंबोडिया कनेक्शन सामने आया था। इसके बाद कंबोडिया से दो लोग ग्रेटर नोएडा भाग कर आए थे।
मार्च में बिसरख पुलिस ने कंबोडिया में बैठकर 100 करोड़ से ज्यादा की साइबर ठगी करने वाले गिरोह का खुलासा किया था। इसमें पता चला था कि कंबोडिया में बैठकर फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज, लोन एप, फर्जी कॉल सेंटर, गेमिंग एप, चाइल्ड पोर्नोग्राफी से लेकर तकनीकी सहायता के नाम पर ठगी की वारदात की जा पुलिस पूछताछ में कंबोडिया में करीब दो हजार से अधिक लोग फंसे होने की जानकारी सामने आई थ़ी। दरअसल कंबोडिया से भारतीय नागरिकों से सबसे अधिक साइबर ठगी हो रही है।
इसके लिए भारतीय नागरिक ही कंबोडिया से संपर्क कर देश के विभिन्न हिस्से के लोगों से ठगी कर रहे हैं। ऐसे भारतीय नागरिक कंबोडिया नौकरी के लिए गए थे जो अब मजबूरी में साइबर फ्रॉड कर रहे हैं।
ऐसा होता है विदेशों में बेस कैंप
दरअसल दुबई, हांगकांग, चीन, कंबोडिया आदि देशों में विदेशी साइबर जालसाज बैठकर भारतीय लोगों को निशाना बनाते हैं। पुलिस से बचने के लिए विदेशी बेस केंप में भारतीय नागरिकों और इनके डाटा को रखते हैं। इसके बाद वहां से वर्चुअल नंबर से फोन करते हैं। इसके बाद कई बार इनका जब नेटवर्क बढ़ता है तो एनसीआर या देश के अन्य हिस्सों में अपना ब्रांच या कॉल सेंटर खोल लेते हैं।
विदेशों से इस तरह के फ्रॉड अधिक
लोन एप, गेमिंग एप, फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज, फर्जी कॉल सेंटर, मार्केटिंग, जॉब पोर्टल से लेकर शॉपिंग साइट के नाम पर ठगी, नौकरी के नाम पर कॉल सेंटर, बीमा के नाम पर फ्रॉड, शेयर मार्केट में निवेश कराने के नाम पर जालसाजी, क्रिप्टो करेंसी में निवेश कराने के नाम पर ठगी, कंप्यूटर में पॉप अप वायरस को ठीक कराने के नाम पर ठगी, लकी ड्रा में कार, गिफ्ट के नाम पर ठगी।