शिवराज सिंह चौहान
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भले ही 2005 से मध्य प्रदेश की राजनीति में रहे हो, उनके पुराने संसदीय क्षेत्र में अब भी उनका प्रभाव देखा जा सकता है। जिस गांव में जाते हैं, वहां माहौल शिव-मय हो जाता है। महिलाएं आरती उतारती हैं। बच्चों को लेकर अपने भैया के पास पहुंच जाती हैं। फिर पांव-पांव वाले भैया शिवराज आदिवासियों के घर पर भोजन करते हैं। उसी स्नेह और अपनत्व से उनकी अगवानी होती हैं, जैसे घर का कोई सदस्य बहुत दिन बाद घर आया हो।
विदिशा शिवराज के लिए नया नहीं है। इसी संसदीय क्षेत्र से वह पांच बार सांसद रहे हैं। केंद्र में मंत्री भी बने थे। उसके बाद मध्य प्रदेश आए तो चार बार मुख्यमंत्री बने। इस दौरान भी उनका विदिशा लोकसभा सीट में आने वाले क्षेत्रों से खास लगाव रहा। सीहोर जिले की जिस बुधनी सीट से विधानसभा गए, वह भी विदिशा संसदीय सीट का हिस्सा है। लिहाजा, इसी क्षेत्र में रहे और काम किया। इसके बाद भी विदिशा लोकसभा सीट पर उनका प्रचार वैसे ही शुरू होता है, जैसे वह पहली बार चुनाव लड़ रहे हो। गुरुवार को अमर उजाला ने उनके साथ पूरा एक दिन बिताया। उनसे तमाम विषयों पर खास बातचीत भी की।
शिवराज के साथ सफर की शुरुआत भोपाल से हुई। सीधे उनकी कार पहुंची रायसेन जिले की सिलवानी तहसील के प्रतापगढ़ में। वहां उन्होंने जनसभा को संबोधित किया। यह आदिवासी और मुस्लिमबहुल इलाका है। यहां भी शिवराज मामा का जलवा अलग ही था। आदिवासियों ने उनका स्वागत किया। शिवराज ने आदिवासियों के साथ नृत्य किया। महिलाओं के बीच जाकर बैठ गए। फिर फुलमार गांव पहुंचे। वहां आदिवासी समाज के एक व्यक्ति के घर भोजन किया। थाली में परोसे भोजन की बारीकियां भी बताई। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज जानता है कि सिर्फ गेहूं के आटे की रोटी नहीं बनाना है। यहां आज भी मक्का, बाजरा, चना और अन्य अनाज को मिलाकर आटा तैयार किया जाता है। थाली में कड़ी-चने की सब्जी मुख्य पकवान थे। इसके बाद शिवराज वीकलपुर गांव में ही एक कार्यकर्ता के घर पर रुके और रात्रि विश्राम किया।