मां तपेश्वरी देवी मंदिर
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कानपुर में बिरहाना रोड पर पटकापुर स्थित मां तपेश्वरी देवी मंदिर का इतिहास रामायणकाल से जुड़ा है। मान्यता है कि माता सीता ने इस मंदिर में लव और कुश का मुंडन संस्कार कराया था। जो भी भक्त यहां अखंड ज्योति जलाते हैं भगवती उनकी मनोकामना अवश्य पूरी करती हैं। यहां लखनऊ, रायबरेली, फर्रुखाबाद, उन्नाव आदि जिलों से भक्त आकर मां के दर्शन करते हैं और ज्योति जलाते हैं। बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराते हैं। मां के 108 नामों का जप करने से पद, प्रतिष्ठा और ऐश्वर्य की कामना पूरी होती है।
पुजारी पं. शिव मंगल बताते हैं कि इस मंदिर की मान्यता सिद्धपीठ के रूप में है। लंका पर विजय प्राप्त कर प्रभु श्रीराम जब अयोध्या लौटे तो कुछ समय बाद उनके आदेश पर लक्ष्मण माता सीता को बिठूर स्थित वाल्मिकी आश्रम में छोड़ आए थे। कहा जाता है कि माता सीता के तप से ही तपेश्वरी माता प्रकट हुईं थीं। इसके बाद यहां पर एक छोटी मठिया की स्थापना की गई थी। पहले पुत्तूलाल इस मंदिर की रखवाली करते थे। उनके निधन के बाद उनके बेटे मन्नू लाल ने इस मंदिर का निर्माण कराया। इसके बाद मन्नू के बड़े बेटे लक्ष्मी नारायण ने यहां शेर की मूर्ति की स्थापित कराई।