बीते पूरे हफ्ते दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद अदालत से उन्हें मिल रहे झटके की खबरों ने सुर्खियां बटोरीं। दिल्ली के मुख्यमंत्री को हाईकोर्ट से तब झटका लगा, जब कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को सही बताया।
दूसरी ओर, पूरे हफ्ते दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगने की अटकलें लगती रहीं। दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने भी दावा किया कि केंद्र सरकार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की साजिश रच रही है। इस हफ्ते के खबरों के खिलाड़ी में इसी विषय पर चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह, विनोद अग्निहोत्री, पूर्णिमा त्रिपाठी, अवधेश कुमार और अनुराग वर्मा मौजूद रहे।
अवधेश कुमार: यह पहली बार है, जब हाईकोर्ट एक-एक बिंदु पर जवाब दे रहा है। हाईकोर्ट कह रहा है कि अरविंद केजरीवाल आप संयोजक और मुख्यमंत्री के रूप में तीन तरीके से साजिश में शामिल थे। इसके तथ्य हमने देखे हैं। अगर यह साबित हो गया तो आम आदमी पार्टी की सदस्यता चुनाव आयोग को खत्म करनी पड़ेगी। इसके साथ ही चुनावी कानून के मुताबिक अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लग सकता है। यह बहुत भयावह स्थिति होगी। अगर ये लोग दोषी साबित होते हैं तो आगे कोई भी भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन पर विश्वास नहीं करेगा। राष्ट्रपति शासन अंतिम विकल्प है। अरविंद केजरीवाल के पास दूसरे विकल्प भी हैं और वो इस पर काम भी कर रहे हैं। उनकी पत्नी आगे आई हैं।
अनुराग वर्मा: आम आदमी पार्टी हर बार कुछ नई चीज करती है। जो परिपाटी रही, ये उससे अलग ही करते हैं। यह पार्टी राजनीति में गिरावट के नए-नए कीर्तिमान बना रही है। राजनीति में दो चीजें होती हैं। एक यह कि आप कानूनी तौर पर कोई काम कर सकते हैं या नहीं। दूसरी होती है नैतिकता। आप ने कानूनी तौर पर पेंच निकाल लिया और जेल से शासन कर रहे हैं, लेकिन क्या यह नैतिक तौर पर सही है? इनकी राजनीति की स्टाइल अब लोगों को समझ में आने लगी है। विधानसभा चुनाव में इसका क्या नतीजा होगा, यह देखना होगा।
विनोद अग्निहोत्री: राजनीति में हथकंडे ही होते हैं। जिसको जहां मौका मिलता है, वो वहां उसका इस्तेमाल करता है। अरविंद केजरीवाल भी वही कर रहे हैं। हाईकोर्ट का आदेश उनके लिए एक बड़ा झटका है। वहीं, संजय सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी राहत है। जैसे- टूजी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुरुआत में कई लाइसेंस कैंसिल कर दिए थे, लेकिन जब ट्रायल कोर्ट ने फैसला दिया, तब हम सभी ने देखा था कि क्या हुआ। राजनीतिक तौर पर अगर बात करें तो मुझे लगता है कि अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार को इस मामले में फंसा दिया। अब केंद्र सरकार या एलजी इस पर दखल दें या फिर राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। राष्ट्रपति शासन लगता है तो आप फिर से विक्टिम कार्ड खेलेगी कि 62 विधायकों वाली सरकार को गिरा दिया गया। हालांकि, मैं मानता हूं कि केजरीवाल को इस्तीफा दे देना चाहिए था।
रामकृपाल सिंह: यह मामला न्यायालय के विचाराधीन है इसलिए हर घटना पर जजमेंटल होने से हमें बचना होगा। आम लोग और चुनिंदा लोगों के लिए दो कानून नहीं हो सकते। मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका का मामला जब सुप्रीम कोर्ट में गया था, तब कोर्ट ने कहा था कि मनी ट्रेल से लगता है कि यह पैसा पार्टी में गया है। उसके बाद केजरीवाल इसमें आए। उन्हें गिरफ्तार किया गया। संजय सिंह के मामले में कोर्ट ने कहा है कि यह नजीर नहीं है। अब ये लोग सुप्रीम कोर्ट गए हैं। उम्मीद है कि सोमवार को कोर्ट इस पर फैसला दे। तब इस पर कुछ कहा जा सकता है।
पूर्णिमा त्रिपाठी: आम आदमी पार्टी का जन्म ही भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हुआ था। अब अगर उसी मुद्दे पर उनके सबसे बड़े नेता फंस रहे हैं तो यह अस्तित्व का संकट तो है ही। हालांकि, हाईकोर्ट की जो टिप्पणी आई है, उसे हमें फैसला मानने और अरविंद केजरीवाल को भ्रष्ट मान लेने से बचना चाहिए। अब केंद्र इस मामले में दोनों तरफ से फंस गया है। अगर केंद्र सरकार केजरीवाल की सरकार को बर्खास्त करती है तो उसकी सहानुभूति पार्टी को मिल सकती है। वहीं, अगर सरकार को चलने देते हैं तो इससे भी यह संदेश जाएगा कि केजरीवाल को फंसाया गया है और इसलिए केंद्र उनकी सरकार को बर्खास्त नहीं कर रहा है। कुल मिलाकर इससे विपक्षी गठबंधन को फायदा हो सकता है।