सांकेतिक तस्वीर
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बरेली मंडल की पांच और लखीमपुर खीरी की दो सीटों पर पिछले एक दशक में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा ने मतदाताओं के बीच अपनी पैठ मजबूत की है, जबकि कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। वर्ष 2019 के चुनाव में तो सपा-बसपा का गठबंधन था, इसलिए दोनों के मत एक-दूसरे को स्थानांतरित हुए थे।
यही कारण रहा कि पिछले चुनाव में भले ही भाजपा ने उक्त सातों सीटें तो जीत लीं, लेकिन सभी सीटों पर सपा-बसपा के प्रत्याशी ही प्रमुख प्रतिद्वंद्वी रहे। इस लड़ाई में पीलीभीत सीट पर सांसद वरुण गांधी को सबसे ज्यादा 59 फीसदी मतदाताओं का साथ मिला था। वहीं बदायूं सीट पर संघमित्रा मौर्य ने 47 फीसदी मत पाकर नजदीकी मुकाबला जीता था।
यही नहीं इन सात सीटों में ज्यादातर पर मुस्लिम मतदाताओं के रुझान पर भी सियासी दलों की खास नजर है। वर्ष 2014 और 2019 के चुनाव में मुस्लिम प्रत्याशियों के प्रदर्शन से भी उनकी पसंद साफ हुई थी। हालांकि पिछले डेढ़ दशक से इन सीटों से कोई मुस्लिम चेहरा संसद नहीं पहुंचा है। इसके बावजूद इस बार ज्यादातर सीटों पर बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशियों पर भरोसा जताया है।