भाजपा और कांग्रेस
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लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के पहले चुनाव प्रचार में मुस्लिम तुष्टीकरण के साथ यूपीए सरकार के दौरान गठित सच्चर कमेटी और जस्टिस रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफारिशें अचानक चर्चा के केंद्र में आ गई हैं। कांग्रेस के संपत्ति सर्वे के वादे पर रविवार को प्रधानमंत्री मोदी के पलटवार के बाद यूपीए सरकार के दौरान मुसलमानों को सरकारी नौकरी और शिक्षा में आरक्षण देने के साथ धर्मांतरित दलित मुसलमान और दलित ईसाइयों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की कोशिशों पर नए सिरे से बहस छिड़ी है।
पीएम मोदी के संपत्ति सर्वे को बहुसंख्यकों की संपत्ति घुसपैठियों और ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों में बांटने के आरोप के बाद भाजपा और विपक्ष के बीच वार पलटवार शुरू कर दिया है। कांग्रेस ने इसे हेट स्पीच बताते हुए एक तरफ इसकी शिकायत चुनाव आयोग से करने की घोषणा की है तो दूसरी ओर पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे गुमराह करने वाला बयान बताते हुए पीएम मोदी से मिलने का समय मांगा है।
इस वादे पर शुरु हुई सियासी भिड़ंत
कांग्रेस के घोषणा पत्र जारी होने के बाद राहुल गांधी ने एक जनसभा में कहा था कि हम पहले यह निर्धारित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना करेंगे कि कितने लोग अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। उसके बाद धन के समान वितरण को सुनिश्चित करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम के तहत हम एक वित्तीय और संस्थागत सर्वेक्षण कराएंगे।
किस बात पर है विवाद?
दरअसल यूपीए सरकार के दौरान मुसलमानों की स्थिति को जानने समझने के लिए सच्चर कमेटी और जस्टिस रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया गया था। इनमें जस्टिस मिश्रा आयोग ने मुसलमानों को दस फीसदी और दूसरे अल्पसंख्यकों को पांच फीसदी आरक्षण देने के साथ यह भी सिफारिश की थी कि धर्मांतरण कर मुसलमान या ईसाई बनने वाले दलितों का भी अनुसूचित जाति का दर्जा बहाल रखा जाए।
- आयोग ने यह भी कहा था कि मुसलमानों के लिए 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण में से 8.4 फीसदी का उपकोटा तय किया जाए। इतना ही नहीं आयोग ने 1950 के आदेश के संशोधन की सिफारिश की थी। आयोग का कहना था कि धर्मांतरण कर मुसलमान और ईसाई बनने वाले दलितों का भी एससी दर्जा बहाल किया जाए।
क्या है भाजपा की रणनीति ?
भाजपा चाहती है कि चुनाव में आयोग की सिफारिशें मुद्दा बनें। वह इसलिए कि जस्टिस रंगनाथ आयोग ने यूपीए सरकार के दौरान ओबीसी आरक्षण में मुस्लिमों के लिए उपकोटा लागू करने, अनुसूचित जाति में मुस्लिमों को शामिल करने की सिफारिश की थी। अगर यह विवाद बढ़ा तो पार्टी यह प्रचारित करेगी कि कांग्रेस ने ओबीसी और दलितों की कीमत पर मुसलमानों को आरक्षण देने का लगातार प्रयास किया था।