मुंबई. बॉलीवुड सिनेमा ने अपने गौरवाशाली 100 साल से भी ज्यादा का समय पूरा कर लिया है. 1 शताब्दी में बॉलीवुड फिल्मों और फिल्मी सितारों की जिंदगी में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. लेकिन भारतीय सिनेमा में 50 के दशक को स्वर्णिम काल का नाम दिया गया है. इसी दौर में बॉलीवुड के सबसे जहीन और नई कहानी आंदोलन को सिनेमा के जरिए देशभर में फैलाने वाले सितारों की फिल्में आज कल्ट क्लासिक मानी जाती हैं. 50 के दशक में 1 ऐसा ही सितारा ‘गुरु दत्त’ (Guru Dutt) भी अपनी कला से बॉलीवुड को समृद्ध करने आया था. ‘प्यासा’ (Pyaasa 1957), ‘बाजी’ (Baazi 1951), ‘साहेब बीबी और गुलाम’ (Saheb Bibi Aur Ghulam 1962) जैसी कालजयी फिल्में देने वाले गुरुदत्त महज 39 साल की अल्प आयु में अकाल मौत स्वर्ग सिधार गए.
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