एलजी के खिलाफ नारेबाजी….
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दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) विभाग ने दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) के 52 संविदाकर्मियों को बर्खास्त कर दिया। पहले 223 संविदा कर्मियों को हटाने का आदेश दिया गया था। विभाग के मुताबिक, इन सभी की नियुक्तियां गैरकानूनी ढंग से की गई थीं।
यह कार्रवाई जून 2017 में एक समिति की रिपोर्ट के आधार पर एलजी वीके सक्सेना की सिफारिश पर की गई है। 29 अप्रैल के आदेश में कहा गया था कि विभाग ने 223 संविदा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं, पर बृहस्पतिवार को बयान जारी कर बताया कि 52 संविदा कर्मी ही बर्खास्त किए गए हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि दरअसल 223 पद गैरकानूनी तरह से बनाए गए थे। पर, सिर्फ 52 पर ही नियुक्ति हुई थी। डब्ल्यूसीडी विभाग ने बयान में कहा, फरवरी, 2017 में डीसीडब्ल्यू में अवैध रूप से सृजित पदों व संविदा नियुक्तियों की शिकायत पर तत्कालीन एलजी अनिल बैजल ने समिति बनाई थी। तत्कालीन मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति ने जांच के बाद नियुक्तियों और अपनाई गई प्रक्रियाओं को अवैध माना था।
एलजी ने सुनाया तुगलकी फरमान : मालीवाल
दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष व आप सांसद स्वाति मालीवाल ने आदेश की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पर कहा, एलजी ने महिला आयोग के सभी संविदा कर्मियों को हटाने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया है। आयोग में कुल 90 कर्मचारी हैं, जिनमें से सिर्फ 8 को सरकार ने नौकरी दी है। अगर सभी संविदा स्टाफ को हटा दिया जाए तो आयोग पर ताला लग जाएगा।