हिंदी सिनेमा के दिग्गज निर्माता-निर्देशक के सी बोकाडिया की फिल्म ‘तीसरी बेगम’ के एक संवाद से जय श्री राम वाक्यांश हटाने के सेंसर बोर्ड के निर्देश के खिलाफ बंबई हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। अदालत ने ये फिल्म देखने के लिए एक समिति बनाई है जो ये फिल्म देखेगी और तय करेगी कि फिल्म में ये वाक्यांश हटाने के सेंसर बोर्ड के निर्देश में कितना वजन है। सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म में 14 बदलाव करने के निर्देश दिए थे, जिनमें से 13 को अदालती सुनवाई के दौरान अनावश्यक माना गया है।
निर्माता-निर्देशक के सी बोकाडिया की फिल्म ‘तीसरी बेगम’ सेंसर बोर्ड की परीक्षण समिति, पुनरीक्षण समिति और इसके चेयरमैन प्रसून जोशी से होती हुई अब बंबई हाईकोर्ट में है। फिल्म को पहले तो सेंसर बोर्ड ने पास करने से ही मना कर दिया था, लेकिन इसके खिलाफ अपील होने पर पुनरीक्षण समिति ने इसे 14 बदलावों के बाद ‘केवल वयस्कों के लिए’ प्रमाणन के साथ जारी करने की सिफारिश की। इन 14 बदलावों में एक निर्देश फिल्म के क्लाइमेक्स में एक किरदार के अपने संवाद में जय श्री राम बोलने को लेकर भी था। सेंसर बोर्ड ने फिल्म से जय श्री राम हटाने को कहा था।
बोकाडिया कहते हैं, ‘मैंने बीते 40 साल में 60 फिल्में बनाई हैं, लेकिन मुझे कभी सेंसर बोर्ड ने इस तरह परेशान नहीं किया। मैंने हाल ही में दूरदर्शन के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल पर एक साप्ताहिक धारावाहिक ‘सरदार द गेम चेंजर’ बनाया है जिसे देखने के बाद केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने इसे हफ्ते में दो बार करने का सुझाव दिया है, लेकिन सेंसर बोर्ड मेरी एक सामयिक फिल्म को रिलीज नहीं होने दे रहा है। अगर मेरी फिल्म को ‘जय श्री राम’ शब्दों के साथ रिलीज करने की अनुमति नहीं मिली तो मैंने इसके खिलाफ हाईकोर्ट जाने की बात भी सेंसर बोर्ड के अधिकारियों को बताई थी, लेकिन उन्होंने मेरी विनती नहीं मानी और मुझे मजबूरन हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।’
के सी बोकाडिया की तरफ से बंबई हाईकोर्ट के दिग्गज वकील अशोक सरावगी बहस कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक इस बहस के दौरान ही सेंसर बोर्ड की परीक्षण समिति की तरफ से सुझाए गए 14 बदलाव में से 13 को वापस लेने की बात सेंसर बोर्ड ने मान ली है। अब मामला फिल्म के क्लाइमेक्स में एक मुस्लिम किरदार द्वारा जय श्री राम बोलने पर अटका हुआ है। बताया गया कि इसके लिए हाईकोर्ट ने एक समिति बनाई है जो ये फिल्म देखेगी और अदालत को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। मामले की अगली सुनवाई 8 मई हो होनी है।
हिंदी फिल्म जगत में अपनी एक अलग साख रखने वाले निर्माता निर्देशक के सी बोकाडिया के साथ साथ ये मामला आम जनरुचि का मामला भी बन गया है। सेंसर बोर्ड के हालिया रवैये से मुंबई फिल्म जगत के लोग काफी परेशान रहे हैं। जनवरी माह से लंबित इसकी पुनरीक्षण समिति की बैठक अभी पिछले हफ्ते तब हुई है, जब इसके बारे में ‘अमर उजाला’ ने खबर प्रकाशित की है। सूत्र ये भी बताते हैं कि सेंसर बोर्ड के अधिकारी लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान से पहले ऐसी कोई फिल्म को प्रमाण पत्र नहीं देना चाह रहे हैं जिसे लेकर जरा सा भी विवाद खड़ा होने की आशंका हो।