ऐरावत।
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दूर दराज के इलाकों और हाई एल्टीट्यूड एरिया में भारतीय सेना को सामान पहुंचाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर 18 हजार फीट के ऊपर कम वजन का सामान या हथियार पहुंचाने के लिए या तो हेलीकॉप्टर पर निर्भर रहना पड़ता है या फिर अगर वहां सड़क मार्ग है, तो वाहन के जरिए ही पहुंचाया जा सकता है। वहीं, अब यह काम ड्रोन करेगा, क्योंकि भारतीय सेना को 40 किग्रा पेलोड की क्षमता वाले स्वदेशी तकनीक से बने ऐरावत ड्रोन बेहद पसंद आए हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इनकी डिलीवरी भी शुरू की जाएगी।
दुनिया का पहला हाई एल्टीट्यूड लॉजिस्टिक्स ड्रोन
फिरोजाबाद की ऑर्डिनेंस इक्विपमेंट फैक्टरी हजरतपुर (OEFHZ) ने सैन्य ऑपरेशन के लिए 20 से 100 किग्रा का वजन ढोने की क्षमता वाले लॉजिस्टिक ड्रोनों को डिजाइन किया है, इनमें ऐरावत-1 की क्षमता 20 किग्रा, ऐरावत-2 की क्षमता 40 किग्रा है। जबकि ऐरावत-3 जिसकी पेलोड क्षमता 100 किग्रा है, हालांकि वह अभी डेवलपमेंट फेज में है। ऐरावत-3 उच्च हिमालय इलाकों में भारतीय सेना के लिए एयर एम्बुलेंस के तौर पर काम करेगा। ऑर्डिनेंस फैक्टरी का कहना है कि उन्हें उधमपुर आर्मी कमांड से 13 ऐरावत- 3 ड्रोन डेवलप करने के ऑर्डर मिले हैं। ऑर्डिनेंस फैक्टरी का दावा है कि ऐरावत दुनिया का पहला हाई एल्टीट्यूड लॉजिस्टिक्स ड्रोन है।
हाल ही में वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (VCOAS) लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने रक्षा मंत्रालय की अधीन डिफेंस पीएसयू ट्रूप कंफर्ट्स लिमिटेड (टीसीएल) के कानपुर स्थित मुख्यालय का दौरा किया था। वहीं ऑर्डिनेंस इक्विपमेंट फैक्टरी हजरतपुर असल में टीसीएल की ही यूनिट है, जो भारतीय सेना के लिए इक्विपमेंट और टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स बनाती है। दौरे के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी को ऐरावत-2 का ट्रायल रन बेहद पंसद आया था।