सांकेतिक तस्वीर।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल का रण सज चुका है। आठ मंडलों की 25 लोकसभा सीटों में से 21 पर राजग का कब्जा है। काशी विश्वनाथ, विंध्य कॉरिडोर और हाईवे का जाल बिछने के बाद यह पहला लोकसभा चुनाव है। भाजपा के सांस्कृतिक सरोकारों से जुड़े सबसे ज्यादा बिंब भी इसी इलाके में हैं। पूर्वांचल इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाता भी इसी क्षेत्र से है। विकास की रफ्तार तो बढ़ी है, पर पिछड़ेपन का दाग अब भी पूरी तरह से नहीं धुल पाए हैं। ऐसे में भाजपा का सबसे बड़ा इम्तिहान होगा।
सबसे पहले विकास की बात। प्रयागराज से वाराणसी और वाराणसी से गोरखपुर तक हाईवे का जाल बिछा है। औद्योगिक इकाइयां भी लग रही हैं। पर्यटन उद्योग फला-फूला है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद 15 करोड़ से ज्यादा पर्यटक वाराणसी आए हैं। पर, पूर्वांचल के करीब 10 लाख बुनकरों की समस्या जस की तस है। वाराणसी, भदोही, मऊ, आजमगढ़, गाजीपुर, गोरखपुर और संतकबीरनगर के बुनकर कहते हैं, सब तरफ विकास दिख रहा है, लेकिन रोजगार का बड़ा द्वार खोलने वाला बुनकर उद्योग लड़खड़ा गया है। फ्लैट रेट पर बिजली नहीं मिल पा रही है। कच्चा माल मिलने में दिक्कत आ रही है।
वाराणसी के साथ ही प्रयागराज, गोरखपुर, कुशीनगर और आजमगढ़ से विमान उड़ान भर रहे हैं। पर, आजमगढ़ के खिरिया गांव के किसान लंबे समय से एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं। सोनभद्र में भी हवाई पट्टी के लिए जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। वाराणसी एयरपोर्ट के विस्तार, ट्रांसपोर्टनगर और आवास विकास परिषद की चार परियोजनाओं के जमीन अधिग्रहण का विवाद है। गोरखपुर के सरदारनगर की बंद चीनी मिल का न खुलना भी लोगों को अखर रहा है।
गोरखपुर के डॉ. संतोष सिंह कहते हैं, स्वास्थ्य सेवाओं का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत हुआ है। पिछड़े जिलों में मेडिकल कॉलेज बन गए हैं। सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं शुरू हुई हैं। गोरखपुर के एम्स में इलाज मिल रहा है। पर, विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी की चुनौती बरकरार है। वहीं, प्रयागराज की स्वास्थ्य सेवाओं में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला है।
मतदाताओं के मन की बात
- वाराणसी के लहरतारा की आरती मिश्रा चुनावी मुद्दों के सवाल पर कहती हैं, काशी में विकास दिख रहा है। एयर कनेक्टिविटी मजबूत हुई है। औद्योगिक इकाइयां स्थापित हुई हैं। अभी भाजपा से बेहतर विकल्प नहीं दिख रहा है। पर, मैदागिन इलाके के रत्नाकर त्रिपाठी सवाल उठाते हैं। वह कहते हैं, काशी को क्योटो बनाने का वादा था, लेकिन जाम से निजात नहीं मिल पा रही है।
- चंदौली नियमताबाद के अजय यादव कहते हैं, 2019 के चुनाव में भाजपा के जीत का अंतर बहुत कम था। विपक्षी गठबंधन में सीट सपा के पास है। वह मजबूती से चुनाव लड़ रहा है। चंदौली सिटी के अजीत सिंह इस दलील से इत्तफाक नहीं रखते। वह कहते हैं, पिछला गठबंधन सपा और बसपा के बीच था।
- गाजीपुर में जखानियां क्षेत्र के राम निवास वर्मा और उनकी पत्नी दिलराजी चुनावी माहौल पर कहती हैं, कोरोना काल से ही राशन मिल रहा है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। जो खाने के लिए दे रहा है, उसे समर्थन देंगे। वहीं, शमशाद अहमद का कहना है कि यहां गठबंधन का जोर है।
- जौनपुर के कलवारी के आकाश मिश्रा सन्नी कहते हैं, यह चुनाव 2019 से अलग है। इस बार सपा और कांग्रेस में गठबंधन है। इसका कोई खास फायदा विपक्ष को नहीं मिलेगा। वहीं, तेजी बाजार के अशोक नायर ने कहा कि गठबंधन दमदारी से चुनाव लड़ता दिख रहा है।
25 सीटों में से 21 पर एनडीए तो 4 पर विपक्ष काबिज
वाराणसी : मंडल के चार जिलों में पांच सीटें-वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर और मछलीशहर हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में गाजीपुर से बसपा प्रत्याशी रहे अफजाल अंसारी (अब सपा में) को जीत मिली थी। जौनपुर में भी बसपा को जीत मिली थी। तीन सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी।
आजमगढ़ : मंडल के तीन जिलों में चार सीटें-आजमगढ़, लालगंज-सुरक्षित,बलिया और घोसी हैं। बलिया छोड़ दी जाए तो भाजपा को 2019 के चुनाव में तीन सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि आजमगढ़ में हुए लोकसभा उपचुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की थी।
मिर्जापुर : मंडल के तीन जिलों में तीन सीटें-रॉबर्ट्सगंज, मिर्जापुर और भदोही हैं। पिछले चुनाव में भाजपा की सहयोगी अपना दल एस के खाते में दो सीटें-रॉबर्ट्सगंज और मिर्जापुर गई थीं। भदोही से भाजपा को जीत मिली थी
वाराणसी : मंडल के चार जिलों में पांच सीटें-वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर और मछलीशहर हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में गाजीपुर से बसपा प्रत्याशी रहे अफजाल अंसारी (अब सपा में) को जीत मिली थी। जौनपुर में भी बसपा को जीत मिली थी। तीन सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी।
आजमगढ़ : मंडल के तीन जिलों में चार सीटें-आजमगढ़, लालगंज-सुरक्षित,बलिया और घोसी हैं। बलिया छोड़ दी जाए तो भाजपा को 2019 के चुनाव में तीन सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि आजमगढ़ में हुए लोकसभा उपचुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की थी।
मिर्जापुर : मंडल के तीन जिलों में तीन सीटें-रॉबर्ट्सगंज, मिर्जापुर और भदोही हैं। पिछले चुनाव में भाजपा की सहयोगी अपना दल एस के खाते में दो सीटें-रॉबर्ट्सगंज और मिर्जापुर गई थीं। भदोही से भाजपा को जीत मिली थी
सवाल में भी विकास, जवाब में भी विकास
- मछलीशहर के छाछौ गांव निवासी पंकज शुक्ला कहते हैं, यहां बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं दिख रही है। सुरक्षित सीट पर जब सपा और बसपा साथ थीं, तब भी भाजपा जीती थी। वहीं, जमालपुर गांव के विजय तिवारी कहते हैं कि भाजपा के प्रति लोगों में नाराजगी है।
- आजमगढ़ के आराजीबाग मोहल्ले के राजेश यादव कहते हैं, उपचुनाव में भाजपा को मौका मिला था, लेकिन कोई खास उपलब्धि जिले के खाते में नहीं आ सकी। हालांकि इसी मोहल्ले के गिरीश त्रिपाठी कहते हैं, वोट तो मोदी-योगी के नाम पर पड़ेगा।
- लालगंज के गोसाईं बाजार के बिठूवां के संतोष कुमार सिंह और ठेकमा के आनंद कुमार कहते हैं, ओम प्रकाश राजभर एनडीए के साथ आ गए हैं। इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। ठेकमा के रिजवान कहते हैं, गठबंधन की स्थिति मजबूत दिख रही है।
- चुनावी मुद्दों के सवाल पर गोरखपुर के उद्योगपति अनुज जालान कहते हैं, अब सुरक्षा का माहौल है। निवेश को प्रोत्साहन दिया जा रहा। विकास भी दिख रहा है। वीएम भट्ट कहते हैं, यह चुनाव देशहित और राष्ट्रवाद का है। अंधियारीबाग के महेश यादव कहते हैं कि भाजपा को याद रखना चाहिए कि उपचुनाव में उसे हार मिल चुकी है। इसलिए यह परंपरागत सीट नहीं कही जा सकती है।
- प्रयागराज के केके राव कहते हैं कि विकास दिख रहा है। कुंभ के सफल आयोजन से संगम नगरी की पहचान बदली है। इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। वहीं, डॉ. एके सिंह कहते हैं कि विपक्ष इस बार मजबूत स्थिति में है।
- तापगढ़ के गोंड़े गांव के सूरज सिंह कहते हैं, किसान सम्मान निधि, निशुल्क राशन और गैस सिलिंडर का असर जमीनी स्तर पर दिख रहा है। इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। पट्टी के रामकिशुन यादव का मानना है कि कड़ी लड़ाई है।
- सिद्धार्थनगर की बढ़नी नगर पंचायत निवासी बबिता वर्मा कहती हैं, भाजपा गठबंधन मजबूत है। डुमरियागंज के शरीफ खान का कहना है कि महंगाई चरम पर है। इसका नुकसान भाजपा को होगा।
- बलिया के सुखपुरा निवासी रोहित सिंह का मानना है कि जिले में मेडिकल कॉलेज और कटानरोधी परियोजनाओं का काम ठीक से नहीं हुआ है। इसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ सकता है। वहीं, भृगु आश्रम निवासी रजनीकांत सिंह विकास कार्यों को गिनाने के साथ ही कहते हैं कि भाजपा के सामने कोई बड़ी चुनौती नहीं है।
- मिर्जापुर के मनोज श्रीवास्तव का कहना है कि घोषणाएं ज्यादा हुई हैं, जो जमीन नहीं दिख रहीं। रमईपट्टी के अमल सोनकर कहते हैं कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है।
- सोनभद्र में रामगढ़ के राजेश सिंह कहते हैं, बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है। इस बार भाजपा गठबंधन की राह आसान नहीं है। ओबरा के दिनेश चौबे कहते हैं कि सड़कें बेहतर हुई हैं। जिन क्षेत्रों में पहले सफर करना मुश्किल था, वहां भी आसानी से जाया जा सकता है।
- भदोही के बुनकर अशफाक अहमद कहते हैं, फ्लैट रेट पर बिजली देने का वादा पूरा नहीं हुआ। इस बार मतदान से पहले वादों और इरादों को परखा जाएगा। ज्ञानपुर के वंशी गुप्ता का कहना है कि कानून-व्यवस्था और विकास पर कोई सवाल नहीं है।
- कुशीनगर के दीप नारायण अग्रवाल कहते हैं, कानून-व्यवस्था बेहतर है। इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। मनोज सिंह कहते हैं, तामझाम के साथ कुशीनगर एयरपोर्ट शुरू किया गया था, जो नवंबर से बंद है। उड़ानें कब शुरू होंगी, यह जनता पूछ रही है।
- देवरिया के बड़हरा गांव निवासी रामआधार यादव कहते हैं कि भाजपा के वादों और इरादों में फर्क है। जिस हिसाब से विकास का सपना दिखाया गया था, वह पूरा नहीं हुआ। पंडित श्रीप्रकाश मिश्र का अनुमान है कि भाजपा को बड़ी दिक्कत नहीं आने वाली है।
- बस्ती के पॉलीटेक्निक चौराहा निवासी रामदास चौधरी कहते हैं, इस बार भाजपा की चुनौती बढ़ी है। विपक्ष मजबूती से चुनाव लड़ रहा है। विक्रमजोत निवासी वेद प्रकाश शुक्ला कहते हैं, अयोध्या में राम मंदिर बन जाने का फायदा भाजपा को मिल सकता है।
- संतकबीरनगर के फूलचंद यादव कहते हैं कि, संतकबीरनगर की स्वास्थ्य सेवाएं चौपट हैं। भाजपा गठबंधन की चुनौती बढ़ेगी। मृगांक मणि त्रिपाठी कहते हैं, जनता पार्टी देखकर मतदान करती है।
- मऊ के डॉ. संजय सिंह ने कहा कि कानून-व्यवस्था बेहतर हुई है। इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। मधुवन के डिघेरा गांव के रामनारायण सिंह का मानना है कि इस बार चौंकाने वाले नतीजे सामने आएंगे।
- कौशांबी के अभय विश्वकर्मा कहते हैं कि सरकार के कामकाज पर कोई सवाल नहीं है। विपक्ष मजबूत मुद्दों के साथ जनता के पास नहीं पहुंच पा रहा है। वहीं, कुलदीप कहते हैं कि महंगाई ने कमर तोड़ दी है। इसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता है।