मंत्रियों को नहीं थी आपातकाल लागू होने की जानकारी।
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इंदिरा गांधी के आपातकाल के फैसले से उस समय कैबिनेट सचिव अनभिज्ञ थे। यहां तक कि केंद्रीय मंत्रियों को भी आपातकाल लागू होने की जानकारी नहीं थी। 1977 में लोकसभा चुनाव के बाद गठित शाह आयोग के समक्ष गवाही में तत्कालीन कैबिनेट सचिव बीडी पांडे ने इसका खुलासा किया था।
अमर उजाला में 8 दिसंबर 1977 के अंक में प्रकाशित समाचार के अनुसार कैबिनेट सचिव बीडी पांडे ने शाह आयोग के समक्ष गवाही में बताया कि उन्हें 26 जून को सुबह साढ़े चार बजे फोन से मंत्रिमंडल की बैठक की जानकारी मिली। पांडे ने बताया कि सुबह 6 बजने के कुछ मिनट पहले प्रधानमंत्री निवास पर पहुंचे तो बैठक के लिए कुछ मंत्री आ गए और कुछ आने वाले थे। मंत्रिमंडल की बैठक सिर्फ 15 से 20 मिनट चली।
सचिव ने कहा कि उन्हें इमरजेंसी से ज्यादा अचरज इस बात पर हुआ कि देश में व्यापक पैमाने पर लोगों की गिरफ्तारी की गई। इसकी भी उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। कांग्रेस को इमरजेंसी की कीमत 1977 के आम चुनाव में चुकानी पड़ी। इंदिरा सत्ता से बाहर हो गईं। मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने। आयोग ने पांडे से पूछा कि उस समय वे कैबिनेट सचिव थे। उनकी राय में क्या यह उचित था। इस पर उन्होंने कहा कि आपातकाल स्थिति घोषित करने का कोई औचित्य नहीं था।