UP lok Sabha Election 2024
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मतदान की तारीख नजदीक आने के साथ इलाहाबाद संसदीय सीट के राजनीतिक समीकरण भी पल-पल बदलने लगे हैं। अलग-अलग संस्कृतियों एवं समुदायों को सहारा देने वाली गंगा एवं यमुना नदी के बीच बसे इस क्षेत्र के पथरीले इलाके सियासी हलके में मृग मरिचिका जैसे हालात बना रहे हैं।
ऐसे में ऊंट किस करवट बैठेगा इसे समझना राजनीति के पंडितों के लिए भी आसान नहीं रहा गया है। जानकारों के अनुसार जातीय गोलबंदी पर टिके इस चुनाव में अनुसूचित जाति के वोटर निर्णायक होते दिख रहे हैं।
इलाहाबाद सीट पर ब्राह्मण हमेशा से ही राजनीति की दिशा तय करते रहे हैं। यही वजह है कि इस सीट पर अब तक अगड़ी जाति के नेता ही सांसद चुने जाते रहे हैं। इस बार भी हालात कुछ जुदा नहीं दिख रहे और हैट्रिक लगाने की तैयारी में जुटी भाजपा को कांग्रेस के उज्ज्वल रमण सिंह की कड़ी चुनौती मिल रही है।
इलाहाबाद में सवा अठारह लाख से अधिक मतदाता हैं। गंगा और यमुना की पारिस्थितिकी को अच्छी तरह से समझने वाले ब्राह्मणों और मल्लाहों का गठजोड़ पिछले दो चुनावों में भाजपा को काफी रास आया। इलाहाबाद में इन दोनों बिरादरी के छह लाख से अधिक मतदाता हैं और इन्हें भाजपा अपना परंपरागत वोट बैंक मानती रही है। इनके अलावा करीब दो लाख पटेल मतदाताओं को भी भाजपा अपना परंपरागत वोटर मानती रही है।