Vat Savitri Vrat 2024: अखंड सौभाग्य, पति की लंबी आयु और खुशहाली के लिए सुहागिनें हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या (Jyeshtha amavasya) पर वट सावित्री व्रत करती है. हर विवाहिता के लिए करवा चौथ की तरह ये व्रत बहुत खास होता है. इस दौरान महिलाएं निर्जल व्रत कर पति की दीर्धायु की कामना करती है.
शादी के बाद यह आपका पहला वट सावित्री व्रत है तो आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. इसलिए जान लीजिए कि पहली बार वट सावित्री के व्रत में किन नियमों का पालन करना जरूरी होता है.
पहली बार वट सावित्री व्रत कैसे करें ? (Vat Savitri Vrat and Puja vidhi)
- शादी के बाद पहली बार व्रत कर रही हैं तो सुबह स्नान के बाद लाल साड़ी पहनें, दुल्हन की तरह श्रृंगार करें.
- शुभ मुहूर्त में वट वृक्ष के पास सफाई कर गंगाजल छिड़कें.बांस की दो टोकरी में सप्तधान रखें.
- पहली टोकरी में ब्रह्मा जी की मूर्ति और दूसरी में सावित्री-सत्यवान की तस्वीर स्थापित करें.
- पूजा में वट वृक्ष के जड़ में जल, कच्चा दूध अर्पित करें, चावल के आटे का पीठा लगाएं. रोली, सिंदूर, अक्षत, पान, सुपारी, फूल, फल, बताशे आदि पूजा सामग्री चढ़ाएं.
- वृक्ष की 7 बार परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत या कलावा लपेटें. कथा पढ़ें. इसके बाद सुहागिनों को श्रृंगार सामग्री, फल, अनाज का दान करें.
- वट सावित्री व्रत का पारण 11 भीगे चने खाकर करना चाहिए.
वट सावित्री व्रत का महत्व (Vat Savitri Vrat Significance)
वट यानी बरगद, जो अमरता का प्रतीक. सावित्री अर्थात वो देवी जो काल के मुंह अपने पति सत्यवान (Satyavan) का प्राण वापस ले लाई थी, ये पतिव्रता की अद्भुत मिसाल है. वट वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु (Vishnu) और डालियों में देवों के देव महादेव निवास करते हैं.
इसके अलावा पेड़ की शाखाएं, जो नीचे की तरफ लटकी रहती हैं, उनको मां सावित्री कहा जाता है. बरगद (Bargad) का पेड़ सालों तक अटल रहता है. यही वजह है कि पति की लंबी आयु की कामना से वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है.
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