शिवपाल यादव
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मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव का भी राजनीति की गलियों में अपना दबदबा है। सियासी अखाड़े में धुरंधरों को अपने चरखा दांव से चित करने वाले मुलायम उनके भाई ही नहीं राजनीति गुरु भी थे। उन्हीं से सीखे हुए सियासत के दांव-पेच लगाकर शिवपाल ने इस बार ऐसी बिसात बिछाई कि भाजपा कई सीटों पर चारों खाने चित हो गई।
2019 के लोकसभा चुनाव में शिवपाल सपा से अलग हो गए थे। उन्होंने अपनी अलग पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना ली थी। ऐसे में यादव दो फाड़ हो गया था। एक गुट सपा के साथ था तो दूसरा प्रसपा के। इतना ही नहीं शिवपाल ने खुद फिरोजाबाद से अक्षय यादव के खिलाफ चुनाव लड़ा था। अक्षय भाजपा प्रत्याशी चंद्रसेन जादौन से महज 28781 वोट से हारे थे। जबकि उनके चाचा शिवपाल यादव 91 हजार से भी अधिक वोट काटने में कामयाब रहे थे। ऐसे में कहीं न कहीं सपा की राह में उन्होंने ही रोड़ा अटकाया था। मैनपुरी सीट की अगर बात करें तो मुलायम सिंह यादव के सामने शिवपाल सिंह ने चुनाव तो नहीं लड़ा था, लेकिन कार्यकर्ताओं में गुटबाजी के चलते मुलायम की जीत का ग्राफ 1 लाख के नीचे आ गया था। वहीं बदायूं में भी धर्मेंद्र यादव को हार मिली थी।