राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर।
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मोदी 3.0 मंत्रिमंडल में भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर के बेटे और सीएम नीतीश कुमार की पार्टी से राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर भी शामिल हो गए। उन्होंने राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली। आज सोशल मीडिया पर नाम ठाकुर का नाम भले ही ट्रेंड कर रहा हो लेकिन वह बिहार की राजनीति में जाने पहचाने चेहरे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफी करीब हैं। हो भी क्यों नहीं सामाजिक न्याय की राजनीति करने वाले लोग जननायक कर्पूरी ठाकुर को याद करते हुए किसी भी कार्यक्रम की शुरूआत करते हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार में उनको केंद्रीय मंत्री बनाकर सीएम नीतीश कुमार एक खास वोट बैंक पर अपनी पकड़ बनाना चाहते हैं। रामनाथ ठाकुर पीएम नरेंद्र मोदी को भी पसंद हैं।
कर्पूरी ठाकुर ने जिंदा रहते हुए इन्हें राजनीति से दूर रखा
रामनाथ ठाकुर का जन्म 3 मार्च 1950 को हुआ था। बड़े भाई डॉ विरेंद्र ठाकुर बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर थे। अब सेवानिवृत हो चुके हैं। इनके परिजनों की मानें तो जननायक कर्पूरी ठाकुर रामनाथ ठाकुर को राजनीति से दूर रखना चाहते थे। इस कारण इन्हें रोसड़ा के एरौत गांव में प्राइमरी शिक्षा के लिए भेजा गया। मैट्रिक की परीक्षा रामनाथ ठाकुर ने मोहिउद्ददीननगर के हाई स्कूल से पास की। इसके बाद इंटर पास किया। 23 साल की उम्र में इनकी शादी समस्तीपुर के ही आशा देवी से करवा दी गई। इन्होंने तीन पुत्रियां नमिता कुमारी, स्नेहा कुमारी, और अमृता कुमारी हुईं। साल 2020 में उनकी पत्नी आशा देवी की मौत हो गई। कर्पूरी ठाकुर ने जिंदा रहते हुए इन्हें राजनीति से दूर रखा।
लालू प्रसाद ने बनाया था एमएलसी
1988 में कपूरी ठाकुर की मौत के बाद 1989 व 1995 में लालू प्रसाद यादव ने इन्हें एमएलसी बनाया गया। लालू सरकार में वह मंत्री भी रहे। फिर उन्होंने लालू का साथ छोड़ दिया और नीतीश कुमार के साथ चले आए। इसके बाद दो बार विधायक व बिहार सरकार नीतीश कैबिनट में मंत्री के रूप में कार्य किया। दो बार विधायक रहने के बाद अख्तरुल इस्लाम शाहीन से चुनाव हार गए। इसके बाद उन्हें नीतीश कुमार ने राज्यसभा भेजा। कारोबार के नाम पर इनके पास खेतीबारी है।
भागकर समस्तीपुर चले गए तो पिता को काफी दुख हुआ
रामनाथ ठाकुर के पड़ोसी व बचपन के मित्र श्याम बिहारी सिंह बताते है कि बचपन में वह पढने लिखने में समान्य थे। हालांकि वह मिलनसार व्यवहार के थे। किसी से झगड़ा नहीं होता था। जवानी में भी किसी से झगड़ा नहीं किया। वहीं मित्र मुनेश्वर सिंह ने बताया कि कर्पूरी ठाकुर की मौत के बाद लालू प्रसाद ने उन्हें एमएलसी बनाया। उद्योग मंत्री भी बनाया। पढने लिखने में समान्य थे। जननायक कर्पूरी ठाकुर उन्हें पढाई के लिए एरौत गांव में रखा था। वह एक दिन बांध पकड़कर भागते हुए समस्तीपुर पहुंच गए। इससे उनके कर्पूरी ठाकुर को दुख हुआ था।