प्रमुख पर्यावरणविद् सुनीता नारायण ने कहा कि भारत ग्लोबल साउथ की आवाज बनकर और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को सामने रखकर जलवायु वार्ता में और भी बड़ी भूमिका निभा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2028 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने की योजना बना रहे हैं।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की महानिदेशक नारायण ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र रूपरेखा संधि के तहत पार्टियों का सम्मेलन एकमात्र ऐसा मंच है, जहां जलवायु परिवर्तन से पैदा हुईं चुनौतियों से निपटने के लिए बहुपक्षीय निर्णय लिए जा सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘दक्षिण के देशों के लिए खड़े होने वाले देश के रूप में हम और भी बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। हमारे सामने चुनौतियां हैं। हम अपनी चुनौतियों के बारे में बात कर सकते हैं, उन्हें दबा नहीं सकते। हम दुनिया को आगे बढ़ने का बेहतर रास्ता खोजने में मदद कर सकते हैं। हम नेतृत्व की भूमिका निभा सकते हैं।
पीएम मोदी ने दुबई में पार्टियों के सम्मेलन (सीओपी-28) में अपने संबोधन में 2028 में भारत में जलवायु सम्मेलन की मेजबानी करने की पेशकश की थी। सीओपी की अध्यक्षता बारी-बारी से सभी देश करेंगे। भारत के लिए अगला अवसर 2028 में होगा, जब एशिया को अपनी बारी मिलेगी। उस समूह के सभी देशों को मोदी की दावेदारी पर सर्वसम्मति से सहमत होना होगा, तभी इसकी पुष्टि होगी।
हमें सीओपी की मेजबानी करनी चाहिए
नारायण ने कहा कि हमें सीओपी की मेजबानी करनी चाहिए और बिल्कुल हमें बात करनी चाहिए। देखिए, जलवायु परिवर्तन दुनिया की एक बड़ी समस्या है। इसका द्विपक्षीय स्तर पर समाधान नहीं किया जा सकता है। यह एक बहुपक्षीय मुद्दा है। उन्होंने आगे कहा कि जलवायु परिवर्तन समाजवाद को पुनः सीखने का एक तरीका है, क्योंकि यह एक साझा वातावरण के बारे में है, जहां देशों को एक साथ रहना सीखना होगा, चाहे वे इसे पसंद करें या नहीं।
उन्होंने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र वार्ता एकमात्र ऐसा मंच है जहां आप बहुपक्षीय निर्णय लेते हैं।’
कौन हैं नारायण?
नारायण COP-28 के अध्यक्ष सुल्तान अल जाबेर के सलाहकार पैनल की सदस्य थीं। अल जाबेर तेल की दिग्गज कंपनी अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी के प्रमुख भी हैं, जिसने कार्यकर्ताओं की इस चिंता को और बढ़ा दिया कि बड़े उद्योग पर्यावरण संकट के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया को अपने नियंत्रण में ले रहे हैं।
मुझ पर भी बहुत सी आलोचना की गई
नारायण ने कहा, ‘मुझ पर भी बहुत सी आलोचना की गई, लेकिन वह एक तेल उत्पादक हैं। आप एक तेल उत्पादक को सलाह क्यों दे रहे हैं? लेकिन यह महत्वपूर्ण है। मुझे लगता है कि हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम एक आम सहमति पर आएं कि हम जीवाश्म ईंधन के साथ क्या करने जा रहे हैं? उन्हें कैसे कम किया जाएगा।’