केंद्र में नई सरकार के गठन के बाद अब केंद्रीय बजट की तैयारियां शुरू हो गई हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट 2024-25 पर सुझाव लेने के लिए सभी राज्यों और विधानमंडल वाले केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों के साथ बजट पूर्व बैठक की है। जुलाई के तीसरे सप्ताह में केंद्रीय बजट पेश किया जा सकता है। उससे पहले आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी होगी। लोकसभा चुनाव से पहले एक फरवरी 2024 को अंतरिम बजट लाया गया था। केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने भी वित्त मंत्री के समक्ष अपनी नौ मांगों की फेहरिस्त रख दी है। इनमें पुरानी पेंशन बहाली, आठवें वेतन आयोग का गठन, मेडिकल सुविधाओं की बेहतरी, स्टाफ बेनिफिट फंड, रेस्टोरेशन कम्युटेशन ऑफ पेंशन, इनकम टैक्स स्लैब, होम लोन रिकवरी व रेलवे की क्षमता में वृद्धि, आदि मांगें शामिल हैं।
जेसीएम ‘स्टाफ साइड’ के सचिव और एआईआरएफ के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने 21 जून को केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है, केंद्रीय कर्मियों को आने वाले बजट से बहुत उम्मीदें हैं। कर्मचारियों की मांगों में सबसे ऊपर ‘पुरानी पेंशन बहाली’ है। मिश्रा ने कहा, ओपीएस केवल एक पेंशन नहीं है, अपितु ये सामाजिक सुरक्षा का जरिया है। एनपीएस ने सरकारी कर्मियों के सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा चक्र को तोड़ दिया है। तीन दशक की नौकरी के बाद जब कोई कर्मचारी, एनपीएस में रिटायर होता है तो उसे महज चार-पांच हजार रुपये बतौर पेंशन मिलते हैं। दूसरी मांग, ‘आठवें वेतन आयोग का गठन’ है। सातवां वेतन आयोग पहली जनवरी 2016 में लागू हुआ था। इससे पहले हर दस वर्ष में वेतन आयोग गठित होते रहे हैं। अब डीए 50 फीसदी के पार चला गया है।
मौजूदा परिस्थितियों और महंगाई के दौर में वेतनमान, भत्ते और पेंशन लाभ का रिवाइज होना आवश्यक है। रेलवे में स्टाफ बेनिफिट फंड, 800 रुपये पर कैपिटा कॉन्ट्रीब्यूशन फंड, 2014 से स्वीकृत है। पिछले दस साल में इस फंड में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। इतनी राशि में उच्च शिक्षा संस्थानों में स्कॉलरशिप तक मैनेज नहीं हो सकती। प्राकृतिक आपदाओं के चलते स्टाफ को वित्तीय परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। वे तनाव में रहने लगते हैं। खेल गतिविधियां, महिला सशक्तिकरण और आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक डिस्पेंसरी आदि कार्य भी प्रभावित होते हैं।
ऐसे में रेलवे कर्मियों की मांग है कि स्टाफ बेनिफिट फंड में इतनी वृद्धि की जाए, जिससे उक्त जरूरतों को पूरा किया जा सके। अधिकांश कर्मचारी अपनी रिटायरमेंट पर कम्युटेशन ऑफ पेंशन का विकल्प चुनते हैं। मौजूदा समय में कम्युटेशन ऑफ पेंशन को रिस्टोर करने की अवधि 15 साल है। वर्तमान समय की परिस्थितियों के अनुसार, इस अवधि को घटाकर 12 वर्ष किया जाना चाहिए।
केंद्र सरकार के सभी कर्मचारी इनकम टैक्स स्लैब में कवर होते हैं। उन्हें वित्तीय दिक्कतों के बावजूद यह भार उठाना पड़ता है। केंद्रीय बजट में कर्मचारियों को राहत प्रदान करने के मकसद से इनकम टैक्स स्लैब को औचित्यपूर्ण बनाया जाए। नए टैक्स ढांचे में स्टैंडर्ड डिडक्शन, 88सी के तहत डिडक्शन और अन्य छूट प्रदान कर कर्मियों को सेविंग के लिए प्रोत्साहित किया जाए। यह कदम सरकार के लिए भी लाभप्रद होता। इससे सरकार के बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान को गति मिलेगी। रिटायरमेंट के बाद पेंशन पर भी टैक्स लगता है। बुढ़ापे में मेडिकल का खर्च इतना ज्यादा हो जाता है कि सारी पेंशन उसी पर खर्च हो जाती है। बढ़ते खर्च में कमाई का कोई जरिया नहीं होता। ऐसे में वित्त मंत्री से आग्रह है कि पेंशनर को आयकर के दायरे से बाहर रखा जाए।
केंद्रीय कर्मियों के लिए मेडिकल सुविधाएं बढ़ाई जाएं। अभी रेलवे कर्मियों को आरईएलएचएस के तहत मेडिकल सुविधा मिलती है। बाकी केंद्रीय कर्मचारी, सीजीएचएस के जरिए इलाज कराते हैं। यहां पर जब भी स्पेशल इलाज की जरूरत पड़ती है तो कर्मियों को एंपेनल्ड अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है। वहां पर उन्हें भर्ती होने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कहीं पर बेड ही नहीं मिलता। कर्मचारियों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में दौड़ना पड़ता है। ऐसे में सरकार से आग्रह है कि सरकारी अस्पतालों में स्पेशल ट्रीटमेंट की सुविधा प्रदान की जाए। इसके अलावा रेलवे की क्षमता में वृद्धि के लिए स्पेशल बजट जारी किया जाए। स्टेशनों की रिपेयर और अतिरिक्त लाइनों के लिए यह बजट जरूरी है। सुरक्षा के लिए ‘कवच’ प्रोजेक्ट में तेजी लाई जाए। हाउस बिल्डिंग लोन/एडवांस की शर्तों को आसान बनाया जाए।
इससे पहले कर्मचारी संगठन, प्रधानमंत्री मोदी से लेकर डीओपीटी मंत्री के साथ पत्राचार कर चुके हैं। पुरानी पेंशन बहाली के लिए गठित, नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के संयोजक, जेसीएम स्टाफ साइड के सचिव और एआईआरएफ के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने जून के पहले सप्ताह में कैबिनेट सेक्रेटरी एवं चेयरमैन नेशनल काउंसिल, ‘जेसीएम’ को लिखे अपने पत्र में कई बातें कही थी। किस तरह से न्यूनतम वेतन 26000 करने पर, सरकार द्वारा कर्मचारियों से वादाखिलाफी की गई। मंत्रियों की कमेटी ने आश्वासन देकर हड़ताल वापस करा दी। बाद में कर्मियों को कमेटी की तरफ से जो भरोसा दिया गया था, वह तोड़ दिया गया। अतीत के कई प्रसंगों की याद दिलाते हुए मिश्रा ने कैबिनेट सचिव से आग्रह किया है कि अविलंब आठवें वेतन आयोग का गठन किया जाए। नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के संयोजक मिश्रा ने कहा है, पुरानी पेंशन बहाली और केंद्रीय कर्मियों के दूसरे मुद्दों पर कोई भी अंतिम निर्णय लेने से पहले सरकार द्वारा कर्मचारी संगठनों से विचार विमर्श किया जाए। कर्मचारी, केवल ओपीएस बहाली चाहते हैं।
मिश्रा ने अपने पत्र में लिखा, लगभग 10 लाख रिक्तियों के साथ केंद्र सरकार के कर्मचारियों की संख्या पिछले दशक से कम होती जा रही है। मौजूदा कर्मचारियों पर काम का भारी दबाव है। वर्ष 2020-21 के दौरान केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेज (वेतन) और भत्ते का वास्तविक व्यय कुल राजस्व व्यय का केवल 7.29 फीसदी है। पेंशन भोगियों के संबंध में पेंशन पर वास्तविक व्यय, कुल राजस्व व्यय का लगभग 4 फीसदी है। पूर्व के वेतन आयोग द्वारा यह सिफारिश भी की गई है कि मैट्रिक्स की दस साल की लंबी अवधि की प्रतीक्षा किए बिना समय-समय पर इसकी समीक्षा की जा सकती है। इसकी समीक्षा और संशोधन, एक्रोय्ड फार्मूले के आधार पर किया जा सकता है।