Supreme Court
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के उपाध्यक्ष से इस बारे में “स्पष्ट” बयान मांगा कि क्या रिज क्षेत्र में पेड़ों को उपराज्यपाल के आदेश या अनुमति के बिना काटा गया था। मामले में जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की अवकाश पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि वह डीडीए के कृत्यों की विस्तृत जांच करने का प्रस्ताव करती है, जिसके वजह से कई मूल्यवान पेड़ नष्ट हो गए और परिणामस्वरूप पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है। फिलहाल इस मामले में अगली सुनवाई 26 जून को होगी।
‘राजधानी में पेड़ काटा जाना काफी चौंकाने वाला’
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ये काफी चौंकाने वाला है कि राजधानी में पेड़ काटे जा रहे हैं, ये जानते हुए कि शीर्ष अदालत की अनुमति के बिना ऐसा नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान टिप्पणी की कि राष्ट्रीय राजधानी में पेड़ों की कटाई की बेशर्मी को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। और अगर अधिकारी पर्यावरण की रक्षा के अपने वैधानिक और संवैधानिक कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे हैं, तो अदालत को सभी अधिकारियों को स्पष्ट संदेश देना होगा कि इस तरह से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता है।
डीडीए अधिकारियों को नोटिस जारी
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम डीडीए उपाध्यक्ष को निर्देश देते हैं कि वे अदालत को बताएं कि 3 फरवरी को उपराज्यपाल के साइट निरीक्षण के दौरान क्या हुआ, इस बारे में कोई आधिकारिक रिकॉर्ड उपलब्ध है। हमें उपाध्यक्ष से तथ्यों का स्पष्ट विवरण चाहिए, क्योंकि ईमेल में जो संकेत दिया गया है अगर वह सही है, तो पेड़ों की कटाई एलजी के निर्देश पर हुई थी। हम उम्मीद करते हैं कि डीडीए इस पहलू पर स्पष्ट होगा।
बड़े पैमाने पर पौधारोपण अभियान के दिए निर्देश
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में बड़े पैमाने पर पौधारोपण अभियान के लिए निर्देश जारी करने का प्रस्ताव करती है और डीडीए और अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से इस मामले में सहायता करने को कहा। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले छतरपुर से साउथ एशियन यूनिवर्सिटी तक सड़क बनाने के लिए दक्षिणी रिज के सतबारी इलाके में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए डीडीए के उपाध्यक्ष सुभाषिश पांडा के खिलाफ आपराधिक अवमानना का नोटिस जारी किया था।