सांकेतिक तस्वीर
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उत्तर प्रदेश में लगे 11.54 लाख स्मार्ट मीटर दो साल बाद भी 2जी व 3जी से 4जी में बदले नहीं जा सके हैं। जबकि इन्हें बदलने के लिए वर्ष 2022 में ही आदेश दिया गया था। ऐसे में इन स्मार्ट मीटर को मैनुअल चलाया जा रहा है। उपभोक्ता परिषद ने मांग की है कि जो अभियंता स्मार्ट प्रीपेड मीटर की तारीफ कर रहे हैं, पहले उनके घरों में लगाया जाए। यहां वे सही पाए जाएं तभी उपभोक्ताओं के घर में लगाने की कार्यवाही शुरू की जाए।
प्रदेश में 2021 में 11.54 लाख स्मार्ट मीटर लगाए गए। ये 2जी और 3जी तकनीक के थे। वर्ष 2022 में इन्हें 4जी में बदलने का निर्देश दिया गया। इस संबंध में पावर कॉरपोरेशन ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के निर्देश का हवाला देते हुए एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड को तकनीक बदलने का निर्देश दिया। इसके बाद भी पुराने मीटरों में 4जी तकनीक का बदलाव नहीं किया गया। जब इन उपभोक्ताओं का कनेक्शन बिजली बिल बकाये में कटता है तो उन्हें कई दिन तक चक्कर लगाने पड़ते हैं। ये मीटर मैनुअल चल रहे हैं। अब नए सिरे से प्रदेश के हर उपभोक्ता के घर में 4जी तकनीक के स्मार्ट प्रीपेड मीटरों को लगाने की तैयारी है, जिसकी लागत करीब 25 हजार करोड़ रुपये है।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर में कई तरह की खामियां हैं। जो अभियंता इसकी तारीफ कर रहे हैं, पहले उनके घरों में लगाया जाए। इससे स्मार्ट मीटर की गुणवत्ता भी सही तरीके से जांची जा सकेगी। दूसरी तरफ उपभोक्ताओं में भी विश्वास बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि उपभोक्ता के घर में 4जी को लगाने की तैयारी है। जब तक यह लगेंगे, तब तक 5जी आ जाएगा। ऐसे में इसकी क्या गारंटी है कि संबंधित कंपनी इन मीटरों को तकनीक में बदलाव करेगी? क्योंकि पूर्व में लगे मीटर में कई गड़बड़ियां मिली थीं, जिसकी एसटीएफ भी जांच कर चुकी है।