तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद
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संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा अफगान महिलाओं की स्थिति पर चिंता जताने के बाद तालिबान प्रवक्ता ने दोहा बैठक से पहले कड़ा संदेश दिया। तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने दोटूक कहा कि अफगानिस्तान के घरेलू मुद्दे किसी भी तरह से यूएन के नहीं हैं, इन मुद्दों पर चर्चा नहीं की जानी चाहिए।
मुजाहिद के मुताबिक, तालिबान ने 30 जून से एक जुलाई तक आयोजित होने वाली दोहा शिखर सम्मेलन की तीसरी बैठक में अन्य देशों को अफगानिस्तान के साथ बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया है। तालिबान प्रवक्ता ने कहा कि इस बैठक में हमारी भागीदारी किसी भी पक्ष के खिलाफ नहीं है। हमारा सभी पक्षों के साथ जुड़ाव है, जिसे बेहतर ढंग से समझा और उपयोग किया जाना चाहिए। मुजाहिद ने कहा कि वह कुछ शर्तों के साथ इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। हालांकि, मुजाहिद ने इन शर्तों को विस्तार से नहीं बताया।
मुजाहिद ने देश में महिलाओं की भागीदारी पर भी टिप्पणी की। कहा, बैठक में महिलाओं की भागीदारी का मुद्दा यह था कि इस्लामिक अमीरात के अलावा कोई और अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता, क्योंकि अगर अफगान कई चैनलों के माध्यम से बाहरी बैठकों में दिखाई देते हैं तो इसका मतलब है कि हम अभी भी बिखरे हुए हैं। इसलिए, हम देश के अंदर जो कुछ भी करें वह आपस में हो और बाहर हमें एक अफगान के रूप में एकजुट होना चाहिए।
इससे पहले, महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव के उन्मूलन पर संयुक्त राष्ट्र समिति (सीईडीएडब्ल्यू) ने अफगानिस्तान के भविष्य पर यूएन के तत्वाधान में आयोजित हो रही बैठक से महिलाओं व लड़कियों को शामिल ना किए जाने पर गहरी चिंता जताई है। अफगानिस्तान के विशेष दूतों की दो-दिवसीय बैठक इस सप्ताहांत कतर की राजधानी दोहा में होगी।
अफगान महिलाएं अपने हक के लिए लड़ रहीं
यूएन समिति सीईडीएडब्ल्यू ने दुख जताया है कि अफगान महिलाएं फिलहाल दुनिया में अपने अधिकारों के लिए सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण संकट का सामना कर रही हैं। इसके मद्देनजर, उन्होंने इस बैठक में महिलाओं को सक्रिय व प्रत्यक्ष रूप से शामिल किए जाने का आग्रह किया है।
महिलाओं की स्थिति बद से बदतर
समिति ने अफगानिस्तान में महिलाओं व लड़कियों के लिए बद से बदतर होती स्थिति पर बार-बार चिंता जताई है, जिससे मौजूदा और भावी पीढ़ियों को ऐसा बड़ा नुकसान पहुंच रहा है, जिसकी भरपाई कर पाना मुश्किल होगा।
महिला-लड़कियों को चर्चा से दूर रखने पर विश्वसनीयता पर पड़ेगा असर
यूएन समिति ने कहा कि यह उनके शक्तिहीन बनाने का सुनियोजित व हानिकारक कृत्य है। वहीं, समिति के अन्य सदस्यों ने कहा कि महिला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं समेत अफगान नागरिक समाज को दोहा चर्चा में शामिल करने में विफल रहने से महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों पर कारगर ढंग से विचार-विमर्श नहीं हो पाएगा। उन्होंने आगाह किया कि महिलाओं व लड़कियों को इन चर्चाओं से दूर रखे जाने से दोहा में होने वाली बैठक की विश्वसनीयता पर असर पड़ेगा।