yogi adityanath
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सफलता का एक मात्र फार्मूला कठिन परिश्रम लेकिन परिश्रम भी सही दिशा में होना चाहिए। जैसे किसान जब समय से खाद और पानी देता है तभी अच्छी फसल होती है। वैसे ही विद्यार्थियों को करना चाहिए। सरकार ने आपकी सुविधा के लिए अनेक प्रयास प्रारंभ किए हैं। सरकारी स्कूलों में सरकार अच्छे शिक्षक दे रही है। प्राजेक्ट अलंकार के तहत सरकारी स्कूलों का कायाकल्प हो रहा है। हमने अभ्युदय कोचिंग प्रारंभ की है। छात्रों को चाहिए लक्ष्य तय करें। अपने टीचरों से अपनी बात कहने में संकोच ना करें। आज शिक्षा को लेकर अच्छा माहौल है। समाज का हर तबका आपके साथ खड़ा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति दुनिया में भारत को विश्व गुरू के रूप में स्थापित करेगी। अपने स्वयं के जीवन में निश्चित दिनचर्या को अपनाएं। अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें। हर काम समय से करें। दिन और रात को समय में बांटकर काम करें। आपकी समयबद्वता आपको अनुशासित करेंगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ये बातें अमर उजाला की ओर से लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित कार्यक्रम मेधावी सम्मान समारोह में कही।
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सन्यास लेने पर लोग मुझे टोकते थे
मेधावियों के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि संन्यास लेने पर शुरू-शुरू में लोग मुझे टोकते थे। आज मैं उन लोगों को देखता हूं तो पाता हूं कि कोई संतुष्ट नहीं है। भौतिक उपलब्धि व्यक्ति को कभी संतुष्ट नहीं कर सकती। ये ठीक है कि मैं आज मुख्यमंत्री हूं। मगर मैंने संन्यास लिया, ये पलायन का नहीं परिश्रम और संघर्ष का मार्ग है। आज भी 16-18 घंटे काम करता हूं, इसलिए नहीं कि कोई पद या प्रतिष्ठा प्राप्त होगी, बल्कि इसलिए क्योंकि ये मेरा कर्तव्य है। मैं अपने संन्यास की सार्थकता को साबित कर सकूं। भारत की ऋषि परंपरा ने संन्यास की जो व्यवस्था बनाई है वो व्यवस्था सही है, इसे साबित कर सकूं। आज मैं भगवान श्रीकृष्ण के सिद्धांतों पर चलते हुए सज्जनों के साथ खड़ा रहता हूं और दुष्टों के त्राण के लिए कदम भी उठाता हूं।
‘पीड़ितों के साथ खड़े रहना ही मेरे जीवन की सार्थकता’
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेधावी छात्र-छात्राओं की ओर से पूछे गये सवालों का जवाब देते हुए कहा कि संन्यास का फैसला लेना उनके और उनके माता-पिता के लिए चुनौती थी। कोई अभिभावक नहीं चाहता कि उसका बच्चा सन्यासी बन जाए। अभिभावक रिटर्न चाहते हैं। उन्होंने कहा कि बचपन में वह भी वही सोचते थे, जो आज के बच्चे सोचते हैं। वह चाहते थे कि एक अच्छा इंजीनियर बनें। बाद में अहसास हुआ कि कोई इंजीनियर या पद प्राप्त करने से अच्छा है कि पीड़ितों के साथ खड़ा रहूं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यही मेरे जीवन की सार्थकता है।
परिश्रम का कोई विकल्प नहीं
उन्होंने कहा कि परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता। जितना परिश्रम करेंगे उसका परिणाम हमारे पक्ष में जरूर आएगा। कहा कि किसी कार्य में अगर बाधाएं नहीं हैं तो मानकर चलिए कि आपकी दिशा ठीक नहीं। जितने शुभचिंतक हैं उतने ही दुश्मन भी होने चाहिए। तब जो सफलता मिलती है उसका आनंद भी अलग होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर छात्र छात्रा को प्रधानमंत्री मोदी की किताब एग्जाम वारियर्स जरूर पढ़ना चाहिए।
पॉलिटिक्स फुल टाइम जॉब नहीं, हर क्षेत्र के विशेषज्ञों को आना होगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के विकास के लिए एक टीम की जरूरत होती है, जो बिना रुके, बिना झुके लगातार आगे बढ़े। यकीन है कि मेरी युवा पीढ़ी इसके लिए तैयार है। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को राजनीति में अपना आदर्श बताते हुए कहा कि पॉलिटिक्स फुल टाइम जॉब नहीं है। राजनीति में अलग-अलग फील्ड से जुड़े विशेषज्ञों को आना चाहिए। इसमें अच्छे शिक्षाविद, अच्छे पत्रकार, अच्छे चिकित्सक, किसान सबको योगदान देना होगा। जब ऐसे लोग राजनीति में आएंगे तो स्वस्थ चर्चा-परिचर्चा आगे बढ़ेगी। केवल इसलिए कि हम राजनीति में आ जाएं और जाति, परिवार क्षेत्र के नाम पर विभाजन करके सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करें तो देश के साथ इससे बड़ी गद्दारी कुछ और नहीं हो सकती।