प्रतीकात्मक तस्वीर
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बांग्लादेशी व रोहिंग्या नागरिकों को घुसपैठ कराने और उनकी भारतीय नागरिकता के फर्जी दस्तावेज बनवाकर मानव तस्करी करने वाले सिंडिकेट के दो फरार सदस्यों अब्दुल्ला गाजी और विक्रम को एटीएस ने सोमवार को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार कर लिया। दोनों को ट्रांजिट रिमांड पर लखनऊ लाया जा रहा है, जहां अदालत में पेश कर उन्हें पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी।
एटीएस के मुताबिक अब्दुल्ला गाजी को 24 परगना जिले के कालूताला से गिरफ्तार किया गया है। एक साल की जांच में सामने आया था कि एटीएस द्वारा गिरफ्तार अबू सालेह की एनजीओ हरोआ-अल जमिया तुल इस्लामिया दारूल मदरसा एवं कबीरबाग मिल्लत एकेडमी के खातों में विदेशों (उम्मा वेलफेयर ट्रस्ट यूके) से प्राप्त होने वाले अनुदान को अब्दुल्ला गाजी तथा गैंग के अन्य सदस्यों ने फर्जी बिलिंग के जरिये गाजी फूड सप्लाई एवं गाजी मैसनरी फर्मों में ट्रांसफर किया। बाद में खातों से नकदी निकाल कर अवैध रूप से रोहिंग्याओं एवं बांग्लादेशियों की भारत में घुसपैठ, फर्जी भारतीय दस्तावेज बनवाने एवं अन्य माध्यम से उन पैसों को भारत के विभिन्न राज्यों में अपने सहयोगियों को भेजकर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में प्रयोग किया गया।
वहीं विक्रम राय को भी एटीएस ने 24 परगना जिले के गंगुलिया से गिरफ्तार किया है। पूछताछ में उसने बताया कि वह भारत बांग्लादेश बाॅर्डर पर अपने सहयोगियों के साथ मिलकर रोहिंग्याओं एवं बांग्लादेशियों को भारत में प्रवेश कराता है। स्थानीय निवासी होने की वजह से उसे बांग्लादेश बार्डर की भौगोलिक पृष्ठभूमि की अच्छी जानकारी है।
नौ सदस्य हो चुके गिरफ्तार
बता दें कि बीते आठ माह के दौरान एटीएस इस सिंडिकेट के नौ सदस्यों को गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें बांग्लादेश निवासी आदिल उर रहमान अशरफी, तानिया मंडल, इब्राहिम खान, राशिद अहमद सरदार, कफीलुद्दीन पश्चिम बंगाल निवासी अबु हुरैरा गाजी पुत्र अब्दुल्ला गाजी, शेख नजीबुल हक, असम निवासी मोहम्मद अब्दुल अव्वल, अबू सालेह मंडल शामिल हैं। अब्दुल्ला गाजी के फरार होने पर एटीएस ने उनकी गिरफ्तारी पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था।