Patanjali Case: अशोकन ने एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई एक टिप्पणी पर एक बयान दिया था। इस मामले में आईएमए भी एक पक्ष था। अब अशोकन ने अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगी है।
सुप्रीम कोर्ट
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भारतीय चिकित्सा समिति (आईएमए) के प्रमुख डॉ. आर वी अशोकन ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है। दरअसल, अशोकन ने एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई एक टिप्पणी पर एक बयान दिया था। इस मामले में आईएमए भी एक पक्ष था। अब अशोकन ने अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगी है। आईएमए अध्यक्ष आर वी अशोकन ने पंतजलि आयुर्वेद वाले मामले में एक साक्षात्कार के दौरान सर्वोच्च अदालत को लेकर गंभीर टिप्पणी की थी।
आएएमए अध्यक्ष ने जारी किया माफीनामा
चिकित्सक संगठन द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, ‘आईएमए के राष्ट्रीय अध्यठक्ष जॉ आर वी अशोकन ने अपना माफीनामा जारी किया है। इसमें अशोकन ने सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी के संबंध में पत्रकारों को दिए गए अपने बयान पर खेद जताया है।’ बयान में आर वी अशोकन ने शीर्ष अदालत के 23 मई के आदेश का जिक्र किया है। इस दौरान शीर्ष अदालत में पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापनों के मामले में सुनवाई चल रही थी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए को भी अपने संस्थान पर ध्यान देने की बात कही थी। इसके बाद शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में डॉ. अशोकन ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ अपने बयान के लिए बिना शर्त माफी भी मांगी थी। डॉ. वी आर अशोकन ने कहा कि आईएमए ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की। याचिका में आधुनिक चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ कुछ व्यक्तियों और संस्थाओं द्वारा भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ बातें लिखीं थीं। डॉ. अशोकन ने आगे लिखा ’मेरे कुछ बयानों को लेकर मैंने सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी है। मैंने बिना शर्त माफी मांगने के लिए अदालत में हलफनामा दाखिल किया है।’
क्या है मामला?
सुप्रीम कोर्ट की ओर से पतंजलि पर सख्ती के बाद समूह ने अखबारों में विज्ञापन देकर सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी थी। हालांकि इसके बावजूद आईएमए के अध्यक्ष डॉ. आरवी अशोकन अपने एक बयान के कारण विवादों में घिर गए। दरअसल, उन्होंने अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान एलोपैथी डॉक्टर्स पर की गई टिप्पणी का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच पर ही सवाल उठा दिया था। इस मामले पतंजलि ने आईएमए के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की थी। याचिका की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने आईएमए के रवैये पर सवाल उठाए थे।