नए राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान और अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर
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अमेरिका ने ईरान के राष्ट्रपति चुनाव की आलोचना करते हुए कहा कि यह न तो स्वतंत्र है और न ही निष्पक्ष। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि वह तेहरान के साथ कूटनीति जारी रखेगा, लेकिन तभी जब ईरान अमेरिकी हितों को आगे बढ़ाएगा। बयान में आगे कहा गया कि हमें उम्मीद नहीं है कि इन चुनावों से ईरान की दिशा में कोई मौलिक परिवर्तन होगा। इससे मानवाधिकारों पर इस्लामी गणराज्य के रुख में कोई बदलाव नहीं आएगा। जैसा कि पेजेशकियन ने खुद कहा है कि ईरानी नीति सर्वोच्च नेता द्वारा निर्धारित की जाती है। अमेरिका ने कहा कि चुनावों का ईरान के प्रति हमारे दृष्टिकोण पर भी कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा। ईरान के व्यवहार के बारे में हमारी चिंताएं अपरिवर्तित हैं
नए राष्ट्रपति ने बताई अपनी भावी नीति; पश्चिमी देशों से संपर्क पर भी बोले
ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में शानदार जीत दर्ज करने के बाद राष्ट्रपति बने पेजेशकियान ने कहा है कि उनका जोर पश्चिमी देशों से संपर्क करने पर रहेगा। सुधारवादी नेता की छवि रखने वाले पेजेशकियान ने अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ट करते हुए कहा, इस्लामी गणराज्य ईरान पर कई वर्षों से प्रतिबंध लगे हैं। विरोध प्रदर्शनों के बाद देश को अनिवार्य हेडस्कार्फ़ कानून (हिजाब) के कारण भी आलोचना झेलनी पड़ी है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में वे अपने कार्यकाल के दौरान हिजाब कानून को लागू करने के तरीकों को आसान बनाने का वादा करना चाहते हैं।
ईरान के नए राष्ट्रपति को कट्टरपंथी नेताओं से जूझना पड़ेगा
पेजेशकियन ने अपने अभियान के दौरान ईरान के शिया धर्मतंत्र में कोई आमूलचूल परिवर्तन नहीं करने का वादा भी किया। उन्होंने कहा, लंबे समय से देश के सभी मामलों में सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई अंतिम मध्यस्थ माना जाता रहा है। नए राष्ट्रपति के लचीले रवैये और सुधारवाद को बढ़ावा देने वाले बयानों के बावजूद यह भी माना जा रहा है कि पेजेशकियन की राह आसान नहीं होने वाली। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके मामूली लक्ष्यों को भी ईरानी सरकार कड़ी चुनौती दे सकती है।
ईरान के पास कई परमाणु हथियार बनाने के लिए पर्याप्त यूरेनियम भंडार
गौरतलब है कि ईरान के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के निधन के बाद राष्ट्रपति बने रईसी को सरकार में अभी भी बड़े पैमाने पर मौजूद कट्टरपंथियों से जूझना पड़ सकता है। बड़ी संख्या में अहम मंत्रालयों पर कट्टरपंथी नेताओं का नियंत्रण है। पश्चिम एशिया में बीते नौ महीने से जारी युद्ध के कारण हालात संवेदनशील हैं। गाजा पट्टी में जारी इस्राइल-हमास संघर्ष के बीच खबरें सामने आ चुकी हैं कि ईरान अपने यूरेनियम भंडार को हथियार-स्तर तक बढ़ा सकता है। पश्चिमी देशों ने इस पर चिंता जताई है। खबरों के मुताबिक ईरान के पास कई परमाणु हथियार बनाने के लिए पर्याप्त भंडार है।