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हाथरस कांड की जांच करने वाली एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में आयोजकों पर हादसे का ठीकरा फोड़ा है। सूत्रों के मुताबिक जांच मे भोले बाबा की भूमिका का कोई प्रमाण नहीं मिला है। बिना जांच-परख के जिला प्रशासन के अधिकारियों ने कार्यक्रम की अनुमति दी तो पुलिस इंतजाम के बावजूद आयोजक मनमानी करते रहे। ज्यादा भीड़ जुटने के बाद आगे की व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी प्रशासन को नहीं सौंपी, जिसकी वजह से भगदड़ मचने के बाद पुलिस बल हालात पर काबू नहीं पा सका।
बता दें कि एसआईटी से पहले हाथरस जाकर मौका मुआयना करके वापस आने पर मुख्य सचिव और डीजीपी ने भी अपनी रिपोर्ट सीएम योगी को दी थी। जिसमें खासतौर पर स्थानीय प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों द्वारा बरती गयी लापरवाही का जिक्र किया गया था। वहीं एसआईटी की रिपोर्ट शासन को सौंपे जाने के बाद अब सबकी नजरें अब न्यायिक आयोग की जांच पर टिकी हैं, ताकि हादसे को लेकर कई अनसुलझे सवालों का जवाब मिल सके।
सूत्रों के मुताबिक एसआईटी ने अपनी जांच में पाया कि आयोजन स्थल पर भीड़ जुटने के बावजूद तत्काल फोर्स और संसाधन बढ़ाने का अनुरोध नहीं किया गया। हाईवे पर ट्रैफिक सामान्य रखने में ही पुलिस अपनी ऊर्जा खर्च करती रही। कार्यक्रम स्थल पर पुलिसकर्मी और अग्निशमन वाहन तैनात किए गए थे। स्थानीय अधिकारियों ने अपने विवेक का सही इस्तेमाल नहीं किया जिसकी वजह से आयोजक कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए भोले बाबा की चरण रज लेकर ही वापस जाने के लिए उकसाते रहे।
सेफ एग्जिट का रास्ता तलाशने के बजाय भीड़ से भोले बाबा की गाड़ियों को निकाला गया। इस दौरान कई जिम्मेदार अधिकारी मौके से नदारद थे। आयोजकों को कार्यक्रम के लिए हुई फंडिंग संदिग्ध लोगों द्वारा की गयी, जिसकी मनी ट्रेल की जांच विस्तार से कराने की संस्तुति की गयी है।