Devshayani Ekadashi 2024: कलियुग में मनुष्य के उद्धार के लिए एकादशी का व्रत सब व्रतों में उत्तम होता है इसके व्रत से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. आषाढ़ माह (Ashadha Ekadashi) के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी और पद्मा एकादशी (Padma Ekadashi) भी कहते हैं.
इस साल देवशयनी एकादशी 17 जुलाई 2024 को है. ये व्रत मोक्ष, प्राकृतिक आपदा से बचाव करता है. व्यक्ति समस्त सुखों को प्राप्त कर बैकुंठ धाम में स्थान पाता है. जानें देवशयनी एकादशी व्रत की कथा.
देवशयनी एकादशी व्रत कथा (Devshayani Ekadashi Vrat Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार मान्धाता नाम का एक सूर्यवंशी राजा था. वह सत्यवादी, महान तपस्वी और चक्रवर्ती था. वह अपनी प्रजा का पालन सन्तान की तरह करता था. एक बार उसके राज्य में अकाल पड़ गया. इसके कारण प्रजा में हाहाकार मच गया. प्रजा ने राजा से इस परेशानी से राहत पाने की गुहार लगाई. राजा मान्धाता भगवान की पूजा कर कुछ विशिष्ट व्यक्तियों को साथ लेकर वन को चल दिए. घूमते-घूमते वह ब्रह्मा जी के मानस पुत्र अंगिरा ऋषि (Agira Rishi) के आश्रम पर पहुंच गए.
राजा के राज्य में पड़ा अकाल
वहां राजा ने अंगिरा ऋषि से कहा कि मेरे राज्य में तीन वर्ष से वर्षा नहीं हो रही है. इससे अकाल पड़ गया है और प्रजा कष्ट भोग रही है. राजा के पापों के प्रभाव से ही प्रजा को कष्ट मिलता है, ऐसा शास्त्रों में लिखा है. मैं धर्मानुसार राज्य करता हूँ, फिर यह अकाल कैसे पड़ गया, आप कृपा कर मेरी इस समस्या के निवारण के लिए कोई उपाय बताएं.
इस दोष के कारण नहीं हुई वर्षा
अंगिर ऋषि बोले इस युग में केवल ब्राह्मणों को ही तप करने, वेद पढ़ने का अधिकार है, लेकिन राजा आपके राज्य में एक शूद्र तप कर रहा है. इसी दोष के कारण आपके राज्य में वर्षा नहीं हो रही है. अगर आप प्रजा का कल्याण चाहते हैं तो शीघ्र ही उस शूद्र का वध करवा दें. राजा मान्धाता ने कहा कि किसी निर्दोष मनुष्य की हत्या करना मेरे नियमों के विरुद्ध है आप और कोई दूसरा उपाय बताएं.
देवशयनी एकादशी व्रत से दूर हुई समस्या
ऋषि ने राजा से आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी नाम की एकादशी का विधानपूर्वक व्रत करने को कहा. वे बोले इस व्रत के प्रभाव से तुम्हारे राज्य में बारिश होगी और प्रजा भी पहले की तरह सुखी जीवन यापन कर पाएगी. राजा ने देवशयनी एकादशी का व्रत पूजन का नियम अनुसार पालन किया जिसके प्रताप से राज्य में फिर से खुशहाली लौट आई. कहते हैं मोक्ष की इच्छा रखने वाले मनुष्यों को इस एकादशी का व्रत करना चाहिए.
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