आरोपी इंस्पेक्टर सिमरनजीत कौर
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दुष्कर्म पीड़िता से 50 हजार रुपये रिश्वत लेते पकड़ी गई बदायूं की इंस्पेक्टर सिमरनजीत कौर की जमानत अर्जी बरेली के अपर सत्र न्यायाधीश सुरेश कुमार गुप्ता की अदालत ने खारिज कर दी। बता दें कि चर्चित निठारी कांड में इंस्पेक्टर को शिथिल विवेचना के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया था। आठ साल बाद कोर्ट के आदेश पर उसकी बहाली हुई थी।
बदायूं के इस्लामनगर थाने में तैनात इंस्पेक्टर सिमरनजीत कौर को एंटी करप्शन टीम ने 28 मई को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। सिमरनजीत कौर दुष्कर्म के एक मुकदमे की विवेचना कर रही थी। दबाव बनाने के लिए पीड़िता के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था। इसी मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगाने के लिए इंस्पेक्टर 50 हजार रुपये घूस मांग रही थी। पीड़िता ने एंटी करप्शन में जाकर शिकायत की थी।
इंस्पेक्टर की तरफ से बृहस्पतिवार को जमानत अर्जी लगाई गई। इस पर दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने बहस की। इंस्पेक्टर की तरफ से कहा गया कि उसे झूठा फंसाया गया है। वहीं, सरकारी वकील की तरफ से कहा गया कि इंस्पेक्टर को एंटी करप्शन की टीम ने रंगे हाथों पकड़ा है। साक्ष्यों का भी हवाला दिया गया। अदालत ने सिमरनजीत कौर की जमानत याचिका खारिज कर दी।
इसके अलावा, बदायूं जिले के कादरचौक थाने का सिपाही प्रवेंद्र एक माह पहले 20 हजार रुपये रिश्वत लेते पकड़ा गया था। एडीजीसी सौरभ तिवारी ने बताया कि शुक्रवार को आरोपी की जमानत अर्जी अदालत ने खारिज कर दी।