प्रतीकात्मक तस्वीर।
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कर्नाटक में निजी क्षेत्र में नौकरी का आरक्षण देने वाले विधेयक पर हंगामा थमा नहीं था कि एक और नया विवाद पैदा हो गया है। राज्य सरकार अब आईटी कर्मचारियों के काम के घंटे बढ़ाने की योजना बना रही है। हालांकि, इसका आईटी क्षेत्र की यूनियनों ने विरोध किया है। दरअसल, सरकार मौजूदा 10 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे से अधिक प्रतिदिन करने की योजना बना रही है।
कर्नाटक दुकान एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन से आईटी क्षेत्र के यूनियनों में रोष फैल गया है, जिनका तर्क है कि कामकाजी घंटे बढ़ाने से कर्मचारियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर खतरनाक असर पड़ सकता है।
12 घंटे के कार्य दिवस की सुविधा के लिए कर्नाटक दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव उद्योग में विभिन्न हितधारकों के साथ श्रम विभाग द्वारा बुलाई गई बैठक में पेश किया गया। कर्नाटक राज्य आइटी/आइटीइएस कर्मचारी संघ (केआइटीयू) के प्रतिनिधि पहले ही श्रम मंत्री संतोष लाड से मिल चुके हैं और इस कदम पर अपनी चिंताएं व्यक्त कर चुके हैं।
क्या है नई योजना?
नए प्रस्ताव के अनुसार, ‘आईटी/आईटीईएस/बीपीओ क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी को एक दिन में 12 घंटे से अधिक काम करने की अनुमति दी जा सकती है और लगातार तीन महीनों में 125 घंटे से अधिक काम करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।’
केआईटीयू का क्या कहना
केआईटीयू के महासचिव सुहास अडिगा ने बताया, ‘इससे आईटी/आईटीईएस कंपनियों को काम के दैनिक घंटे अनिश्चित काल तक बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह संशोधन कंपनियों को वर्तमान में मौजूद तीन शिफ्ट प्रणाली के बजाय दो शिफ्ट प्रणाली को अपनाने की अनुमति देगा और एक तिहाई कर्मचारियों को उनके रोजगार से बाहर कर दिया जाएगा। साथ ही आईटी कर्मचारियों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होगा।’
विरोध देखते हुए श्रम मंत्रीअंतिम फैसला करने से पहले चर्चा करने के लिए सहमत हो गए हैं। सरकार के फैसले का राज्य के आईटी उद्योग और उसके कर्मचारियों की भलाई के लिए दूरगामी प्रभाव पड़ने की संभावना है।