Muzaffarnagar Nameplate Controversy
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कांवड़ मार्गों की खाने-पीने की दुकान पर संचालकों का नाम और पहचान अनिवार्य कर दिए जाने से दुकानदारों में बेचैनी बढ़ गई है। सरकार के फैसले के साथ ही मुजफ्फरनगर में कांवड़ मार्ग की दुकानों पर दुकानदारों ने अपने नाम वाले फ्लैक्स लगा रहे हैं। ढाबों से मुस्लिम कर्मचारी भी कांवड़ यात्रा तक के लिए हटाए जा रहे हैं। कई जगह स्वेच्छा से ही कर्मचारियों ने आने से इन्कार कर दिया है।
पिछले सात वर्षों से एक दिहाड़ी मजदूर ब्रिजेश पाल श्रावण के दो महीनों के दौरान मुजफ्फरनगर के खतौली इलाके में एक सड़क किनारे ढाबे पर काम करता था ताकि अपने मुस्लिम मालिक को ग्राहकों, मुख्य रूप से कांवड़ियों की भारी भीड़ को प्रबंधित करने में मदद मिल सके। इस काम के लिए उन्हें 400-600 रुपये और हर दिन कम से कम दो वक्त का खाना मिलता था।
हालांकि, इस साल उनके मालिक मोहम्मद अरसलान ने उन्हें अन्य नौकरी की तलाश करने के लिए कहा है। क्योंकि वह अतिरिक्त कर्मचारियों को काम पर रखने में सक्षम नहीं थे। उन्हें लग रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा होटल रेस्तरां, भोजनालय के मालिकों को दिए गए आदेशों के कारण उनकी कमाई पर असर पड़ेगा।