ग्रीन पार्क स्टेडियम
– फोटो : amar ujala
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बात 1982 की है। ग्रीनपार्क का मैदान दर्शकों से खचाखच भरा हुआ था। मौका इंग्लैंड और भारत के बीच खेले जा रहे टेस्ट मैच का था। तभी इंग्लैंड के बॉब विलिस की एक सनसनाती गेंद को कपिल देव ने बाउंड्री के बाहर भेज दिया। उनका शतक पूरा हुआ और स्टेडियम 44 हजार दर्शकों के शोर से गूंज उठा। मगर, अब वैसा शोर और झूमते दर्शक गुजरे जमाने की बात हो गए।
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वजह दर्शक क्षमता का घटते-घटते आधे से भी कम रह जाना है। कुछ आकर्षण बढ़ाने वाले कामों के नाम पर स्टेडियम की बार-बार ऐसी सर्जरी की गई कि दर्शक क्षमता को ही कतर कर फेंक दिया। ग्रीनपार्क की दर्शक क्षमता पर मीडिया सेंटर बनाने के लिए पहली बार 1984 में कैंची चली और फिर कभी वीवीआईपी गैलरी तो कभी डायरेक्टर पवेलियन के लिए इसकी बलि ली जाती रही।