मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।
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यूपी विधानसभा में बृहस्पतिवार को भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट पेश की गई। इसमें स्थानीय निकायों की लापरवाही सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नियमों का पालन न होने से सरकार को राजस्व की हानि हुई है। दस्तावेज भी नहीं सुरक्षित रखे गए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक स्थानीय निकायों को अपने आवासीय एवं वाणिज्यिक भवनों को किराएदारों को बाजार दर पर देना था। इसके लिए अनुबंध करना था, जिसमें किराए और प्रत्येक 5 वर्ष की अवधि में उसमें 12.5 प्रतिशत की वृद्धि होनी थी। नियमों का पालन नहीं किया गया।
लेखापरीक्षा ने पाया कि 14 नगर पालिका परिषद तथा 22 नगर पंचायतों में वर्ष 2015-20 के बीच पार्किंग की सुविधा नहीं दी गई। शेष निकायों में पार्किंग के करीब 3 करोड़ रुपये वसूले नहीं जा सके। इससे लोगों को असुविधा हुई और सरकार को राजस्व नहीं मिला। 9 नगर पालिका परिषदों व 20 नगर पंचायतों ने व्यावसायिक गतिविधियों के लिए लाइसेंस शुल्क नहीं लिया।
स्थानीय निकायों को केंद्र सरकार के विभागों से सुविधाओं के बदले सेवा प्रभार देना था। सिर्फ लखनऊ नगर निगम ने ही रेलवे की संपत्तियों पर प्रभार लगाया। रिपोर्ट में सिफारिश की है कि शहरी स्थानीय निकायों को देय राजस्व की वसूली की निगरानी को मजबूत करनी चाहिए ताकि बकाया राशि में वृद्धि न हो। संपत्तियों के किराए का समय-समय पर परीक्षण होना चाहिए। इसके लिए तकनीक का इस्तेमाल होना चाहिए। राज्य वित्त आयोग के गठन में देरी से बचने और उसकी संस्तुतियों को तत्काल लागू करने की सलाह भी दी है।