सावन में समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को शिव जी ने पी लिया था. विष का असर कम करने और भोलेनाथ पीड़ा दूर करने के लिए देवताओं ने महादेव पर लगातार जल अर्पित किया था. कहते हैं इससे उनकी असहजता दूर हुई थी. यही वजह है कि सावन शिवरात्रि पर जलाभिषेक का विशेष महत्व है.
शिवरात्रि अर्थात शिव की प्रिय रात्रि, रात का समय शिव पूजा के लिए सबसे उत्तम माना गया है. कहते हैं प्रदोष काल और निशिता काल मुहूर्त में शिवलिंग पर भोलेनाथ का वास होता है. इस दौरान जल अर्पित करने से मनोकामनाएं जल्द सिद्ध हो जाती है.
सावन शिवरात्रि पर निशिता काल मुहूर्त में जलाभिषेक के लिए 2 अगस्त को देर रात 12.06 मिनट से प्रात: 12.49 मिनट तक शुभ मुहूर्त बन रहा है.
सावन शिवरात्रि पर निशिता काल मुहूर्त में जलाभिषेक के लिए 2 अगस्त को देर रात 12.06 मिनट से प्रात: 12.49 मिनट तक शुभ मुहूर्त बन रहा है.
सावन शिवरात्रि की रात शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग तथा सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराकर जल से अभिषेक करना चाहिए.
इसके बाद भोलेनाथ के इन आठ नामों भव, शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान, भीम और ईशान को बोलकर बेलपत्र अर्पित करें और फिर आरती कर दें.
Published at : 02 Aug 2024 12:13 PM (IST)
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