दशहरेश्वर महादेव
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काशी पुराधिपति की नगरी में उनका आशीष लेने के लिए मानव तो दूर देवी-देवताओं, ऋषि-मुनियों और राजाओं ने भी शिवलिंग की स्थापना की और शिवलोक के भागी बने। उन्हीं में एक शिवलिंग अयोध्या के राजा दशरथ ने भी दशाश्वमेध घाट पर स्थापित किया था। इसे दशहरेश्वर महादेव नाम से जाना जाता है। बड़ी शीतला माता के गर्भगृह में स्थापित इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से 10 जन्मों के पापों का शमन जाता है।
सावन में यहां भी दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं और माता शीतला और बाबा के दर्शन पूजन कर पुण्यफल को प्राप्त करते हैं। बड़ी शीतला माता मंदिर में दर्शन पूजन के लिए दूर-दराज से लोग पहुंचते हैं। माता के साथ दशहरेश्वर महादेव का भी दर्शन करते हैं। माता के गर्भगृह में यह शिवलिंग स्थापित है।
मंदिर के महंत पं. शिव प्रसाद पांडेय लिंगिया महाराज ने बताया कि ब्रह्पुराण व पद्मपुराण में दशहरेश्वर महादेव का वर्णन है। कहा गया है कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम की प्रसिद्धि को देखकर हनुमान जी ने कहा कि प्रभु आप से बड़ा शक्तिशाली दुनिया में कोई नहीं है।