Hardoi News: तकरीबन चार साल पहले तीन साल की सगी भतीजी से दुष्कर्म करने के आरोप में अपर जिला जज मोहम्मद नसीम ने ताऊ को दोषी ठहराया है। अपर जिला जज ने अभियुक्त को दरिंदा, पिशाच, भेड़िया बताते हुए फांसी पर तब तक लटकाए रखने की सजा सुनाई है, जब तक दोषी की मौत न हो जाए।
आरोपी को ले हुई पुलिस
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हरदोई जिले में सांडी थाना क्षेत्र के एक गांव में तीन साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में दोषी को फांसी की सजा सुनाए जाने के दौरान अपर जिला जज ने न सिर्फ लिखित बल्कि मौखिक तौर पर भी गंभीर टिप्पणी की। अपर जिला जज मोहम्मद नसीम ने कहा कि अगर अभियुक्त ने हत्या की होती तो शायद सजा कुछ और होती, लेकिन जो अपराध उसने किया है उसमें बच्ची की हत्या हर पल और हर दिन होती है। उन्होंने अपने फैसले में दोषी जैसे लोगों को समाज में रहने के लायक न होने की टिप्पणी भी की। फांसी की सजा सुनाने के बाद जज ने कलम तोड़ दी।
अपर जिला जज मोहम्मद नसीम ने फांसी की सजा सुनाए जाने के दौरान दुष्कर्म पीड़िता की हालत भी बयां की। फैसले के मुताबिक दुष्कर्म के कारण बच्ची के मल और मूत्र के रास्ते में कोई अंतर नहीं रह गया था। इसके कारण बच्ची को मल और मूत्र त्याग करने के लिए अलग जगह शरीर में बनानी पड़ी और तब उसकी जान की रक्षा हो पाई। अपर जिला जज ने इसे पशुवत व्यवहार की संज्ञा दी। कहा कि सगी भतीजी के साथ ऐसा व्यवहार इंसान के रूप में एक वहशी जानवर ही कर सकता है। उन्होंने लिखा है कि भारतीय संस्कृति के समाज को ऐसे पैशाचिक व्यक्ति की आवश्यकता नहीं है और इस प्रवृत्ति के व्यक्ति को समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है।