अखिलेश यादव के साथ राहुल गांधी।
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सपा और कांग्रेस का सफर लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव में भी जारी रखने के लिए कई दौर की वार्ता हो चुकी है, पर अभी तक यह वार्ता अपने अंतिम नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। कांग्रेस जहां यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों में हिस्सेदारी चाहती है, वहीं सपा ने महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा आम चुनाव में सीटें मांगी हैं।
वर्ष 2019 में महाराष्ट्र और हरियाणा के आम चुनाव के साथ ही यूपी में विधानसभा उपचुनाव हुए थे। इसलिए माना जा रहा है कि इस बार भी यूपी के उपचुनाव इन दोनों राज्यों के आम चुनाव के साथ अक्तूबर में होंगे। यूपी में करहल, सीसामऊ, मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी, खैर, गाजियाबाद, फूलपुर, मझवां और मीरापुर में उपचुनाव होने हैं।
इंडिया गठबंधन के सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस यूपी में दो सीटों पर उपचुनाव लड़ना चाहती है। इस बारे में दोनों पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व के बीच कई राउंड की वार्ता भी हो चुकी है। सपा की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव व प्रमुख महासचिव रामगोपाल यादव और कांग्रेस की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी व महासचिव केसी वेणुगोपाल इस वार्ता में शामिल रहे हैं।
सपा ने हरियाणा में 5 और महाराष्ट्र में 12 सीटों पर दावा ठोका है। लेकिन, इन दोनों ही राज्यों में कांग्रेस ने अभी कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है। जबकि, हरियाणा के कांग्रेस नेताओं ने यह बयान भी दिया है कि उनके यहां सपा का कोई जनाधार नहीं है। इस पर यूपी में भी सपा जवाबी मूड में आ गई है।
सपा नेताओं का कहना है कि यूपी के वर्ष 2022 के आम चुनाव में अधिकतर सीटों पर जमानत जब्त हुई थी। उस चुनाव में उसका वोट प्रतिशत भी 6.25 प्रतिशत से गिरकर 2.35 प्रतिशत पर पहुंच गया था। ऐसे देखा जाए तो विधानसभा चुनाव के लिहाज से यहां भी कांग्रेस का कोई जनाधार नहीं है। सपा सूत्रों के मुताबिक, अगर कांग्रेस अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव में उन्हें हिस्सेदारी नहीं देगी, तो एवज में यहां भी उसे सपा से सीटों की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। यह बात कांग्रेस नेतृत्व को स्पष्ट तौर पर बता दी गई है।