पुष्पदंतेश्वर महादेव।
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काशी का कण-कण भक्तों का कल्याण करता है। भगवान शिव की महिमा का ही प्रताप है कि मोक्षदायिनी काशी मनुष्यों के हर पाप को नष्ट कर देती है। कुछ ऐसे ही फल देने वाले हैं पुष्पदंतेश्वर महादेव। पुष्पदंतेश्वर महादेव जन्म-जन्म के पापों के साथ ही सात पीढि़यों का उद्धार करते हैं। यही नहीं भूलवश पूजा के फूलों को पैरों तले रौंदने के दोष को भी दूर कर देते हैं।
मंदिर के पुजारी सूरज प्रसाद ने बताया कि गंधर्वराज पुष्पदंत ने शिव महिमा स्तोत्र की रचना की और उन्होंने ही अगस्त्यकुंड के पास पुष्पदंतेश्वर महादेव की स्थापना की थी। पुष्पदंत ने मोह में आकर फूलों को चोरी करने का पाप किया था।
उसी पाप का प्रायश्चित करने के उद्देश्य से वह आनंदकानन काशी आए और भगवान शिव की तपस्या करने लगे। शिव महिमा स्तोत्र करते-करते वह तपस्या में लीन हो गए। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें पापमुक्त करके देवयोनि का वरदान दिया।
श्लोक के अनुसार जन्म जन्म कृतम पापम दर्शन विनष्यति…अर्थात पुष्पदंतेश्वर महादेव के दर्शन मात्र से जन्म-जन्म के पापों का नाश हो जाता है। जो भी भक्त शिव महिमा स्तोत्र से पुष्पदंतेश्वर की आराधना करता है, उसकी सात पीढि़यों का उद्धार हो जाता है और वह कई जन्मों के पाप से मुक्त हो जाता है।
पुष्पदंतेश्वर महादेव का मंदिर पातालेश्वर में विराजमान है। इनका वर्णन लिंग पुराण, कूर्म पुराण में भी मिलता है। शिवपुराण की रुद्र संहिता के अनुसार दैत्यराज पंचचूर्ण के वध के लिए भगवान शिव ने पुष्पदंत को अपना दूत बनाकर उनके पास भेजा था।
पंचचूण के वध के उपरांत शिव ने जिस स्थान पर अपना त्रिशूल स्थापित किया था, वहीं इस मंदिर का निर्माण हुआ। मान्यता है किसी देव स्थान में चढ़े हुए पुष्प, माला, अक्षत, जल पर यदि भूलवश पैर लग जाते हैं तो और उसका दोष लगता है, पुष्पदंतेश्वर महादेव के दर्शन से यह दोष समाप्त हो जाता है।