यूपी बोर्ड।
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नई शिक्षा नीति के अंतर्गत अब हाईस्कूल में 10 और इंटरमीडिएट में सात विषय पढ़ाए जाने की तैयारी है। इंटरमीडिएट में छह विषय अनिवार्य होंगे और सातवां अतिरिक्त विषय होगा। इसी के साथ मानविकी, विज्ञान और वाणिज्य वर्ग खत्म हो जाएगा। इस बदलाव के लिए यूपी बोर्ड में तैयारी चल रही है। इसे कैसे लागू किया जाए, उसके लिए सीमैट में हुई यूपी बोर्ड के अफसरों की दो दिवसीय कार्यशाला का बुधवार को समापन हो गया।
कार्यशाला के दूसरे दिन इंटरमीडिएट में किए जा रहे बदलाव पर चर्चा हुई। नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ)- 2023 के अंतर्गत इंटरमीडिएट में सभी को दो भाषाएं पढ़नी होगी। इसके बाद वह चार विषय कोई भी ले सकते हैं। उसमें गणित के साथ इतिहास, भाैतिकी के अर्थशास्त्र, जीव विज्ञान के साथ वाणिज्य या व्यावसायिक शिक्षा भी ले सकते हैं। इसमें छह विषय अनिवार्य रहेंगे। सातवां विषय विद्यार्थी की इच्छा पर निर्भर है, वह उसे ले या न ले। इसके साथ ही पाठ्यक्रम में कई बदलाव होंगे।
कार्यशाला के मुख्य अतिथि सीबीएसई बोर्ड के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली ने कहा कि राज्य अपने संसाधन के अनुसार इनको लागू करें।यह भी देखें कि जो पाठ्यक्रम पढ़ाया जाय, उससे रोजगार भी मिले। सीबीएसई के पूर्व परीक्षा नियंत्रक पवनेश कुमार ने बताया कि मूल्यांकन की प्रक्रिया बदलनी होगी।
उन्होंने बताया कि आधे प्रश्न दक्षता आधारित बहुविकल्पीय, समस्यात्मक और स्रोत आधारित होने चाहिए। 20 प्रतिशत निर्मित प्रतिक्रिया वाले बहुविकल्पीय, रिक्त स्थान, सत्य असत्य और मिलान आधारित होने चाहिए। 30 प्रतिशत प्रश्न लघु उत्तरीय और दीर्घ उत्तरीय होने चाहिए। इससे विद्यार्थियों का बेहतर मूल्यांकन हो सकेगा। फिलहाल अब तक किसी भी राज्य में यह व्यवस्था लागू नहीं हुई है। कार्यशाला में यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह, अपर सचिव एसके सिंह, अपर सचिव प्रशासन सरदार सिंह, डा. अजीत सिंह, उप सचिव देवव्रत सिंह, स्कंद शुक्ला आदि थे।