Doctor Strike
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सुप्रीम कोर्ट से सुरक्षा का आश्वासन मिलने व हड़ताल खत्म करने के आग्रह के बाद भी रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल जारी है। डॉक्टरों का कहना है कि केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम (सीएपी) बनने तक हड़ताल जारी रहेगी।
हड़ताल के कारण मंगलवार को भी एम्स, सफदरजंग, डॉ. राम मनोहर लोहिया, जीटीबी, लोकनायक सहित दूसरे अस्पतालों की ओपीडी में क्षमता से आधे से भी कम मरीज इलाज करवा सकें। वहीं, 70 फीसदी से अधिक प्रस्तावित सर्जरी प्रभावित हुई। हालांकि आपातकालीन विभाग में सुविधाएं सामान्य रूप से चलती रही। मंगलवार को कोलकाता दुष्कर्म व हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (फाइमा) से संबंधित रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन की अखिल भारतीय स्तर की बैठक हुई।
करीब दो घंटे तक चली इस बैठक में फैसला लिया गया कि जब तक डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए ठोस काम नहीं होगा प्रदर्शन जारी रहेगा। साथ ही, डॉक्टर न्याय के लिए कानूनी माध्यमों से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएंगे।
डीएमए दाखिल करेगा अपील
डॉक्टरों की सुरक्षा की मांग को लेकर दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन बुधवार को याचिका दायर करेगी। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ आलोक भंडारी ने कहा कि मंगलवार को हुई सुनवाई में एसोसिएशन के आठ में से छह बिंदुओं को आदेश में जगह मिली। एसोसिएशन की कानूनी टीम ने दो अन्य बिंदुओं को जोड़ने की मांग रखी है। इसमें संस्थागत एफआईआर और क्रूरता के पीड़ितों के लिए मुआवजा तंत्र विकसित करने की मांग शामिल हैं।
- साथ ही मेडिकल कॉलेजों की मान्यता के लिए नेशनल मेडिकल काउंसिल द्वारा सुरक्षा को अनिवार्य मानदंड बनाया जाना चाहिए। इन्हें आवेदन में शामिल करने के लिए एसोसिएशन अपनी बात रखेगा।
डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए बनाई जाए समिति
कोलकाता में हुई डॉक्टर की हत्या को देखते हुए महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, दिल्ली सरकार स्वतः संज्ञान लेकर अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों को सुरक्षित माहौल देने की सलाह दी है। इसमें कहा गया कि दिल्ली के अस्पतालों के चिकित्सा निदेशक, चिकित्सा अधीक्षक की अध्यक्षता में एक समिति बनाएं और कार्यालय प्रमुख को सदस्य सचिव बनाएं। समिति में अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर के अलावा रेजीडेंट डॉक्टर, नर्स के प्रतिनिधि को भी शामिल करें। सुरक्षा योजना बनाने के दौरान कोड वायलेट को रखा जाए।
- साथ ही सभी डॉक्टरों और परिधीय कर्मचारियों प्रशिक्षण दिया जाए। अस्पताल की सुरक्षा योजना को संबंधित जिले के पुलिस उपायुक्त और पुलिस स्टेशन के प्रमुख को बताया जा। इसकी एक प्रति महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं को भी दें। आपातकालीन सेवाओं की जगह पर तीमारदारों से सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान होने चाहिए।