बलिया जिले में सरयू नदी का कहर जारी है। किसानों की सैकड़ों एकड़ उपजाऊ भूमि डूब चुके हैं। इधर, मंगलवार को मकइया बाबा मंदिर भी नदी की लहरों में समा गया।
सरयू की धारा में समा गया मकइया बाबा का मंदिर
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बलिया में सरयू नदी की लहरों ने मंगलवार की सुबह जमकर तांडव मचाया। तेज गर्जन के साथ नदी की लहरें चलने लगीं। सरयू नदी की मुहाने पर गणेश यादव, शिवजी यादव, मुखराम यादव, महेश यादव आदि गोपालनगर टाड़ी निवासियों में अफरा-तफरी मच गई। कुछ ही देर में मकइया बाबा स्थान का 100 वर्ष पुराना पीपल का पेड़ नदी की मुख्य धारा में समा गया। नदी की तीव्र लहरें मकइया बाबा मंदिर से टकराने लगी। एक घंटे के अंदर मकइया बाबा का मंदिर सरयू नदी की मुख्यधारा में समा गया।
मकइया बाबा का मंदिर गोपालनगर के लिए आस्था व विश्वास का केंद्र था। वहां तरह- तरह के अनुष्ठान हुआ करते थे। दियारा वासियों का कहना है कि अब वो दिन दूर नहीं जब दियारा का नामोनिशान मिट जाएगा। यहां किसानों का सैकड़ों एकड़ उपजाऊ भूमि एक माह के अंदर नदी में विलीन हो चुका है। किसानों की शिकायत है कि मुआवजे के नाम पर अब तक एक रुपया नहीं मिला है।
इस बाबत उपजिलाधिकारी बैरिया ने बताया कि जिन किसानों ने अपने आराजी नंबर के साथ शिकायत की है उन्हें मुआवजा दिया गया है। जो किसान खतौनी के साथ शिकायत कर रहे हैं उनको नियमानुसार मुआवजा दिलवाया जा रहा है। अब तक 40 किसानों को प्रति हेक्टेयर 47 हजार रुपये के हिसाब से मुआवजा दिया गया है। 20 लोगों को मुआवजे के लिए जांचोपरांत चिन्हित किया गया है उन्हें भी जल्द मुआवजा मिलेगा।