INS अरिघात
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देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को विशाखापत्तनम में पूर्वी नौसेना कमान बेस पर बैलिस्टिक मिसाइल परमाणु पनडुब्बी INS अरिघात को नौ सेना को सौंपा। इस दौरान नौसेना के अधिकारियों और जवानों ने रक्षा मंत्री को गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
पहली परमाणु पनडुब्बी INS अरिहंत के बाद INS अरिघात को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अरिघात भारत के परमाणु तिकड़ी को मजबूत करेगी। साथ ही परमाणु शक्ति को बढ़ाएगी। साथ ही रणनीतिक संतुलन और शांति स्थापित करने में मदद करेगा और देश की सुरक्षा में निर्णायक भूमिका निभाएगा। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि परमाणु पनडुब्बी देश के लिए एक उपलब्धि और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के अटूट संकल्प का प्रमाण है।
ये हैं INS अरिघात की खूबियां
INS अरिघात का वजन 6000 टन है और इसकी लंबाई करीब 113 मीटर है। इसकी चौड़ाई 11 मीटर और ड्राफ्ट 9.5 मीटर है। यह पानी के भीतर 980 से 1400 फीट की गहराई तक जा सकती है। साथ ही, लंबे समय तक यह पानी में डूबी रह सकती है। आईएनएस अरिघात में 12 के-15 सागरिका सबमैरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल (एसएलबीएम) तैनात की गई हैं। पनडुब्बी से दागी जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल की रेंज 750 किलोमीटर है। इसके अलावा इसमें 3500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली चार K4 मिसाइलें भी लगी हैं। साथ ही, पनडुब्बी में छह 21 इंच के टॉरपीडो भी लगे हैं। इसके अलावा, कई टॉरपीडो ट्यूब हैं जिनका उपयोग टॉरपीडो, मिसाइल या समुद्री माइंस को तैनात करने के लिए किया जा सकता है। इस पनडुब्बी के अंदर एक न्यूक्लियर रिएक्टर भी लगाया गया है। यह परमाणु ईंधन का उपयोग करके इस पनडुब्बी को सतह पर 28 किमी/घंटा और पानी के भीतर 44 किमी/घंटा की रफ्तार देगा।
पहले नाम रखा गया था INS अरिदमन
सूत्रों ने बताया कि INS अरिघात को एडवांस टेक्नोलॉजी वेसल (एटीवी) प्रोजेक्ट के तहत 2017 में लॉन्च किया गया था। पहले इसका नाम INS अरिदमन रखा गया था, जिसे बाद में बदल कर अरिघात कर दिया गया। 2017 से लगातार इसका ट्रायल किया जा रहा था। वहीं, अब इसे अब नौसेना में कमीशन की तैयारी की जा रही है। अरिघात दरअसल INS अरिहंत का अपग्रेडेड वर्जन है। नई पनडुब्बी में 750 किलोमीटर की रेंज वाली के-15 बैलिस्टिक मिसाइलें लगी होंगी। आईएनएस अरिहंत में भी यही मिसाइलें लगी हैं, लेकिन अंतर यह होगा कि अरिघात ज्यादा क्षमता वाली मिसाइलें ले जा सकती है।