दुकानदारों ने टांग दिया बैनर
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अतरौली नगर पालिका कार्यालय के नीचे बनीं 39 दुकानों की नीलामी प्रक्रिया फिर से शुरू हो गई है, जबकि पहले से काबिज दुकानदारों से अब तक दुकानें खाली नहीं कराई जा सकी हैं। इन्हीं दुकानदारों ने बाहर बोर्ड टांग दिए हैं कि यह दुकानें विवादित हैं। लोग इसकी नीलामी प्रक्रिया में भाग न लें। नगर पालिका कार्यालय के नीचे बनी इन दुकानों का आवंटन वर्ष 2008 से 2014 तक अलग-अलग तारीखों में विभिन्न लोगों को किया गया था।
आरटीआई कार्यकर्ता अंशुल भारद्वाज ने आवंटन की प्रक्रिया को गलत बताते हुए शासन में शिकायत की थी। जांच में शिकायत सही पाए जाने पर तत्कालीन ईओ, चेयरमैन व निर्माण लिपिक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई थी। प्रशासन ने दुकानों का आवंटन निरस्त करते हुए दुकानें खाली कराने के आदेश नगर पालिका को दिए थे। नगर पालिका ने बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास किया कि दुकानें नये सिरे से आवंटित की जाएंगी।
सभासद कबीर खां ने बोर्ड बैठक में मांग रखी थी कि पहले दुकानें खाली कराई जाएं। दुकानदारों से ली गई प्रीमियम धनराशि वापस की जाए। इसके बाद नये सिरे से दुकानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू की जाए। नगर पालिका दुकानें तो खाली नहीं करा सकी है, लेकिन उसने 39 दुकानों की नये सिरे से प्रीमियम धनराशि निर्धारित करते हुए विभिन्न नियम शर्तों के साथ नीलामी प्रक्रिया शुरू कराने की तिथि की घोषणा कर दी है। दुकानदार इसके विरोध में उतर आए हैं। उन्होंने बोर्ड टांग दिए हैं कि दुकानें विवादित हैं इसकी नीलामी में लोग भाग न लें।
दुकानों की नीलामी प्रक्रिया प्रशासन की अनुमति से पूरी कराई जा रही है। दुकानदार भी नीलामी में शामिल हो सकते हैं। यदि दुकान उनके नाम निकलती है तो उनके द्वारा जमा की गई प्रीमियम धनराशि समायोजित कर दी जाएगी। दुकान यदि किसी अन्य व्यक्ति के नाम से निकलती है तो जमा राशि नियमानुसार वापस की जाएगी। नये आवंटी को कब्जा दिलाने के बाद ही आगे काम शुरू होगा।-वंदना शर्मा, ईओ।
नगर पालिका ने दुकानदारों के साथ 15 साल से छल किया है। गलत तरीके से दुकानों का आवंटन किया और खुद गलती स्वीकार भी की। अपूर्ण कार्रवाई कर दुकानों की नीलामी शुरू की जा रही है। इसमें नगर पालिका दोषी है, मैं इसके खिलाफ आवाज उठाउंगा। न्यायालय में विचाराधीन होने के बाद भी नगर पालिका की साठगांठ से एक दुकान की संरचना बदली गई।-अंशुल भारद्वाज, आरटीआई कार्यकर्ता।
पालिका ने नियम शर्तों के साथ दुकानों का आवंटन किया था। इसके बावजूद इनकी गलती का खामियाजा दुकानदारों को झेलना पड़ा। नगर पालिका ने पांच गुना प्रीमियम बढ़ाकर फिर से नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी। यदि कोई व्यक्ति दुकान लेता है, तो नगर पालिका की गलती का खामियाजा फिर से उसे नहीं उठाना पड़ेगा, इसकी क्या गारंटी है ?– वरुण चौधरी।