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मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने प्रदेश के अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था चुस्त एवं दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने मंगलवार शाम इस संबंध में विस्तृत गाइडलाइन जारी की है। यह गाइडलाइन सभी मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सा विश्वविद्यालय को भेजी गई है।
जारी निर्देश में स्वास्थ्य कर्मियों, मरीजों और तीमारदारों सहित सभी की सुरक्षा अनिवार्य की गई है। निर्देश दिया गया है कि अस्पताल में आपराधिक कृत्य पर होने वाली सजा के बारे में डिस्प्ले लगवाया जाए। ‘अस्पताल सुरक्षा समिति’ और ‘हिंसा रोकथाम समिति’ का गठन किया जाए जिसमें वरिष्ठ चिकित्सक और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हों, ताकि उचित सुरक्षा उपायों की रणनीति बनाई जा सके और उन्हें लागू किया जा सके। आम जनता और मरीज के तीमारदारों/ रिश्तेदारों के लिए अस्पताल के प्रमुख क्षेत्रों में प्रवेश को विनियमित किया जाए। आगंतुक पास नीति जारी करें।
विभिन्न ब्लॉकों एवं छात्रावास भवनों तथा अस्पताल के अन्य क्षेत्रों में रात्रि ड्यूटी के दौरान रेजिडेंट डॉक्टरों/नर्सों/अन्य चिकित्सा कार्मिकों के सुरक्षित आवाजाही के लिए प्रावधान करें। आवासीय ब्लॉक, छात्रावास ब्लॉक तथा अस्पताल परिसर के अन्य सभी क्षेत्रों में प्रकाश की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करें। अस्पतालों के सभी प्रवेश व निकास बिंदुओं, रोगी कमरों तक जाने वाले गलियारों तथा परिसर के प्रमुख स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाना और 24/7 मानवयुक्त सुरक्षा नियंत्रण कक्ष की स्थापना करें। निकटतम थाने का नंबर सार्वजनिक करें।
चिकित्सा संस्थाओं में आने वाले लोगों की संख्या, बेड्स की संख्या व सुविधाओं के अनुरू में पुलिस चौकियां स्थापित करने की संभावना। कार्य स्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम- अंतर्गत शिकायतों के समाधान के लिए ‘आंतरिक शिकायत समिति’ का गठन करें।
किसी स्वास्थ्यकर्मी के प्रति हिंसक घटना होने पर पीडि़त स्वास्थ्यकर्मी से शिकायत प्राप्त होने की अपेक्षा न करते हुए संस्था द्वारा स्वयं की ओर से निकटस्थ पुलिस स्टेशन में एफआईआर की जाए तथा पुलिस के साथ तालमेल स्थापित करते हुए त्वरित कार्यवाही की जाय। स्वास्थ्य कर्मियों का वेरिफिकेशन करें।
अस्पताल के प्रत्येक प्रवेश द्वार पर सामान और व्यक्तियों की जांच प्रणाली सुनिश्चित करना, ताकि चिकित्सा प्रतिष्ठान के अंदर कोई हथियार न ले जाए।