ट्रेड पंडितों को फिल्म की री-रिलीज कामयाबी में हिंदी सिनेमा का शुभ संकेत भी दिख रहा है। इसे आज तक की री-रिलीज में दर्शकों द्वारा सबसे ज्यादा प्यार पाने वाली फिल्म बताया जा रहा है। फिल्म ‘तुम्बाड’ का नाम देश की की 10 बेहतरीन फिल्मों के लिए हुए सर्वे में ‘मुगल ए आजम, ‘शोले’, ‘बाहुबली’ के साथ लिया जा रहा है।
इस साल की फिल्मों ‘मुंजा’ और ‘स्त्री 2’ जहां हास्य और हॉरर की खुराक के साथ दर्शकों को आकर्षित करती रही है, वहीं, ‘तुम्बाड’ का ताना-बाना नाट्य शास्त्र के अद्भुत रस के साथ दर्शकों को बॉक्स ऑफिस की तरफ खींचने का काम करता है। बताते हैं कि फिल्म ‘तुम्बाड’ को बनाने में छह साल की मेहनत लगी। फिल्म में बारिश के जितने भी दृश्य हैं, वे सब असली बरसात में शूट किए गए हैं।
फिल्म ‘तुम्बाड’ में उपयोग की गई बस 1935 के समय की है और फिल्म के विजुअल इफेक्ट्स स्वीडन में तैयार किए गए। ये कुछ कुछ ऐसा ही जैसे फिल्म ‘मुगल ए आजम’ के लिए इसके निर्देशक के आसिफ ने बेल्जियम से असली हीरे मंगवाकर फिल्म के महत्वपूर्ण सीन शूट किए थे। फिल्म को इसकी रिलीज के समय बेहद पसंद करने वाले समीक्षकों की मानें तो फिल्म ‘तुम्बाड’ की लोकप्रियता की एक बड़ी वजह इस फिल्म की कहानी है। दादी मां से सुनी कहानियों जैसी इस फिल्म की कहानी इसके पहले बड़े परदे पर कभी नहीं देखी गई।
अपनी रिलीज के समय फिल्म ‘तुम्बाड’ में पांडुरंग, विनायक, दादी और हस्तर जैसे किरदारों ने दर्शकों को मन मोह लिया। एक अद्भुत फिल्म होने के साथ ही ये फिल्म एक बहुत ही साधारण और सरल सी सीख अपने दर्शकों को देती है, ‘लालच बुरी बला है।’ अब जबकि फिल्म ‘तुम्बाड’ दोबारा सिनेमाघरों मे रिलीज हो रही है तो इसे सिनेमाघरों में देखने के लिए युवाओं में खास उत्साह देखा जा रहा है।