आगरा में दो दिन की बारिश में ताजमहल, आगरा किला, फतेहपुर सीकरी समेत सभी स्मारकों को नुकसान पहुंचा है। ताजमहल में लगातार बारिश के कारण शाहजहां मुमताज के मकबरे के मुख्य गुंबद में रिसाव नजर आया। आगरा किला में खास महल में लगे लकड़ी के स्लीपर पर सीलन आ गई। खास बात ये है कि दोनों ही छत डबल डोम है। शुक्रवार को एएसआई अधिकारियों ने जांच की।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल, वरिष्ठ संरक्षण सहायक प्रिंस वाजपेयी और इंजीनियरों की टीम के साथ पहुंचे। उन्होंने मुख्य गुंबद पर आईं पानी की बूंदों की जगह को देखा और रिसाव की वजह जानने का प्रयास किया। ताजमहल का मुख्य गुंबद डबल डोम है। यहां ऊपर की छत पर पानी की निकासी की अच्छी व्यवस्था है, लेकिन लगातार बारिश से पानी नीचे की छत पर भी आया और कब्र के पास बूंदें गिरीं। शुक्रवार को बारिश जब बंद हुई तो यह रिसाव भी बंद हो गया।
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आगरा किला में वरिष्ठ संरक्षण सहायक कलंदर बिंद ने मुसम्मन बुर्ज, दीवान ए आम, मोती मस्जिद, खास महल समेत स्मारको की जांच की। यहां खासमहल में सीलन पाई गई।
पहली बार 1652 में हुआ लीक
दुनिया के सातवें अजूबे ताजमहल का मुख्य गुंबद लीक करने और पानी की बूंदें गिरने पर कई कहानियां हैं, लेकिन सबसे पहले वर्ष 1652 में इसे देखा गया। तब मुगल शहंशाह शाहजहां को शहजादा औरंगजेब ने ताजमहल का दौरा कर दिसंबर 1652 में पत्र लिखकर रिपोर्ट दी थी कि मकबरे के गुंबद से बारिश में उत्तर की ओर दो जगह से पानी टपकता है।
चार मेहराबदार द्वार, दूसरी मंजिल की दीर्घाएं, चार छोटे गुंबद, चार उत्तरी बरामदे और सात मेहराबदार भूमिगत कक्ष भी नम हो गए हैं। औरंगजेब ने अपने पत्र में लिखा था कि बीते साल भी मुख्य गुंबदकी छत टपकी थी, पर मरम्मत करा दी गई है। मस्जिद और मेहमानखाने के गुंबद से पानी टपकता था। उन्हें जलरोधी बनाया गया है।
ब्रिटिश शासन में कई बार हुई मरम्मत
ब्रिटिश काल में वर्ष 1872 में एक्जीक्यूटिव इंजीनियर जे डब्ल्यू एलेक्जेंडर की निगरानी में ताज में मरम्मत के काम हुए। इनमें पानी के रिसाव के कारण हुई परेशानियां भी दूर की गईं। इसके बाद वर्ष 1924 में बाग खान ए आलम की दीवार ही गिर गई। 7 अक्तूबर 1924 को गिरी दीवारी की उसी साल मरम्मत कराई गई। वर्ष 1928 में ताजमहल की शाही मस्जिद लीक हुई, जिसे जलरोधी बनाया गया। वर्ष 1941 में मुख्य गुंबद पर लीकेज रोकने के लिए काम किया गया। वर्ष 1978 की बाढ़ में ताज के भूमिगत कक्षों को नुकसान पहुंचा, जिस पर गुंबद के साथ भूमिगत कक्षों की मरम्मत की गई।