सुप्रीम कोर्ट (फाइल)
– फोटो : एएनआई
विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हत्याकांड को लेकर मंगलवार को सुनवाई की। कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में परास्नातक प्रशिक्षु चिकित्सक से दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले से जुड़ी याचिका पर स्वत: संज्ञान लिया था। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ मामले पर सुनवाई की।
‘जांच पर रिपोर्ट दाखिल करें’
इससे पहले, अदालत ने बंगाल में प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को काम पर लौटने के लिए कहा था। वहीं, सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ ने मंगलवार को सीबीआई से नए सिरे से स्थिति रिपोर्ट भी मांगी है। अदालत ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच पर स्थिति रिपोर्ट पेश करे।
एक सप्ताह बाद फिर सुनवाई
अदालत ने कहा कि वह एक सप्ताह बाद फिर मामले में सुनवाई करेगी। सीजेआई चंद्रचूड़ ने सुनवाई शुरू होने से पहले कहा, ‘चलिए बहस शुरू होने से पहले कुछ फैसले लेते हैं। कोई भी बीच में नहीं उठेगा और न ही चिल्लाएगा क्योंकि इसे लाइव स्ट्रीम किया जा रहा है।’
सरकार के वकील ने यह किया अनुरोध
इस दौरान पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मामले में सुनवाई के सीधे प्रसारण को रोकने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि क्या होता है जब आप इस तरह के मामलों को लाइवस्ट्रीम करते हैं, जिसमें बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। हम आरोपी का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं, हमारी 50 साल की प्रतिष्ठा है!
इस पर पीठ ने कहा कि यह खुली अदालत है। यह जनहित का मामला है। वहीं, सिब्बल ने कहा, ‘यह हमारी प्रतिष्ठा के बारे में भी है! मैं कहां हंस रहा था? यह उचित नहीं है! चैम्बर की महिला वकीलों को तेजाब हमले और दुष्कर्म की धमकियां मिल रही हैं।’ बता दें, सिब्बल सोशल मीडिया पर पश्चिम बंगाल राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों को दी जा रही धमकियों का जिक्र कर रहे थे।
‘सुनवाई के सीधे प्रसारण पर नहीं लगेगी रोक’
इस पर पीठ ने कहा कि वह सुनवाई के सीधे प्रसारण पर रोक नहीं लगाएगी, क्योंकि यह जनहित का मामला है। कोर्ट ने सिब्बल को आश्वस्त किया कि अगर वकीलों और अन्य लोगों को कोई खतरा होगा तो वह कदम उठाएगा।
सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट पर भी गौर किया
कोर्ट ने इस मामले की जांच में अब तक हुई प्रगति पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की स्टेटस रिपोर्ट पर भी गौर किया। दरअसल, कोर्ट ने घटना के मामले में पोस्टमॉर्टम के लिए जरूरी एक अहम दस्तावेज नहीं होने पर 9 सितंबर को चिंता जताई थी और पश्चिम बंगाल सरकार से एक रिपोर्ट मांगी थी। कोर्ट ने 22 अगस्त को महिला चिकित्सक की अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने में देरी को लेकर कोलकाता पुलिस से नाराजगी जताई थी।
सीजेआई ने पूछा कि क्या आरोप पत्र दाखिल करने के लिए 60 दिन लगेगा? इस पर सॉलिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि यह 60 से 90 दिन होना चाहिए। इस पर न्यायाधीश जेबी पारदीवाला ने चौंककर पूछा 90 दिन। वहीं वकील ने कहा कि नए अधिनियम के अनुसार, दुष्कर्म और हत्या के लिए 90 दिन होने चाहिए।
सीबीआई ने सभी जवाब दिए: सीजेआई
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘सीबीआई जो जांच कर रही है, उसका आज खुलासा करने से प्रक्रिया प्रभावित होगी, सीबीआई ने जो रास्ता अपनाया है, वह सच्चाई को उजागर करना है। एसएचओ को खुद गिरफ्तार किया गया है। हमने स्थिति रिपोर्ट देखी है और सीबीआई ने हमारे द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर जवाब दिया है, जिसमें शामिल है कि क्या चालान दिया गया था, पीएमआर की प्रक्रिया क्या थी, क्या सबूत नष्ट किए गए थे, क्या किसी अन्य व्यक्ति की मिलीभगत थी आदि।
सीलबंद लिफाफे में व्यक्तियों के नाम देने को तैयार: डॉक्टरों की वकील
डॉक्टरों के पक्ष वाली वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा, ‘अपराध स्थल पर व्यक्तियों की मौजूदगी रही है। हम उन व्यक्तियों के नाम सीलबंद लिफाफे में सीबीआई को सौंपने को तैयार हैं, मैं अदालत में उन्हें सार्वजनिक नहीं करूंगी।’
पिता को भी चिंता
सीजेआई ने कहा कि मृतक के पिता ने सुरागों पर कुछ सुझाव दिए हैं जिनकी जांच की जानी चाहिए। हम उन्हें सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं, हम कहेंगे कि ये महत्वपूर्ण जानकारी हैं और सीबीआई को इसे देखना चाहिए। हम कहेंगे कि ये सीबीआई के लिए बहुत मूल्यवान जानकारी हैं।
तुषार मेहता ने कहा, ‘मैं सुझाव स्वीकार करता हूं, उन्हें (माता-पिता) सूचित किया जाना चाहिए, जांच एजेंसी को लड़की के माता-पिता के लिए कम से कम इतना तो करना चाहिए। एक चिंता यह है कि विकिपीडिया अभी भी पीड़िता का नाम और फोटो दिखा रहा है।’
पीड़िता के फोटो पर भी उठा सवाल
इस पर सीजेआई ने कहा कि हम एक आदेश पारित करेंगे, नाम और फोटो वहां नहीं हो सकता। वकील ने कहा कि विकिपीडिया से संपर्क किया गया और इसे हटाने के लिए कहा गया। इसमें कहा गया कि हमें सेंसर नहीं किया जाएगा!
एसजी ने कहा कि यह सेंसर नही बल्कि अपराध है। वहीं, सीजेआई ने कहा कि ठीक है, हम इससे निपटेंगे, हम एक आदेश पारित करेंगे।
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि कोई भी यह नहीं कह सकता कि सीबीआई ने अपराध, घटनास्थल या सीसीटीवी कैमरे के 27 मिनट के फुटेज से संबंधित कुछ भी नष्ट कर दिया। वहीं, पश्चिम बंगाल पुलिस ने अदालत को बताया कि सीसीटीवी फुटेज सहित अपराध से संबंधित कुछ भी उनके पास नहीं है और सब कुछ सीबीआई को सौंप दिया गया है।
शीर्ष अदालत ने केंद्रीय एजेंसी से चिकित्सा विभागों में कथित वित्तीय अनियमितताओं पर अब तक की जांच पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।
रात के साथी कार्यक्रम को लेकर राज्य सरकार को लगाई फटकार
सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार के ‘रात के साथी– हेल्पर्स ऑफ द नाइट’ कार्यक्रम पर आपत्ति जताई, जिसमें महिला डॉक्टरों के लिए रात्रि ड्यूटी से बचने का प्रावधान है और कहा गया है कि महिला डॉक्टरों का कार्य समय एक बार में 12 घंटे से अधिक नहीं होना चाहिए।
पीठ ने आगे कहा, ‘राज्य सरकार को इसमें सुधार करना चाहिए। आपका कर्तव्य सुरक्षा देना है। आप महिलाओं से नहीं कह सकते कि आप रात में काम नहीं कर सकतीं। पायलट, सेना आदि में सभी लोग रातभर काम करते हैं। फिर यह नियम सिर्फ चिकित्सा पेशे के लिए क्यों बनाया जा रहा है। काम करने का समय सभी डॉक्टरों के लिए उचित होना चाहिए।
शीर्ष अदालत की फटकार के बाद राज्य सरकार ने कहा कि वह महिला डॉक्टरों के लिए अधिसूचना वापस लेगी। शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार के अस्पतालों में डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए अनुबंधित कर्मचारियों को नियुक्त करने के फैसले पर भी सवाल उठाया।
पीठ ने कहा, ‘हम ऐसी स्थिति में हैं, जहां डॉक्टरों के लिए सुरक्षा की कमी है। राज्य सरकार को कम से कम सरकारी अस्पतालों में पुलिस तैनात करनी चाहिए। हम युवा प्रशिक्षुओं और छात्रों से निपट रहे हैं, जो काम के लिए कोलकाता आ रहे हैं।’
पश्चिम बंगाल सरकार ने पीठ को यह भी आश्वासन दिया कि जूनियर डॉक्टरों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह द्वारा अदालत से अनुरोध किए जाने के बाद कि डॉक्टरों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए, विरोध करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कोई दंडात्मक या प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी।
यह है मामला
गौरतलब है, अस्पताल के सेमिनार कक्ष में नौ अगस्त को प्रशिक्षु डॉक्टर का शव मिलने के बाद से घटना के विरोध में देशव्यापी प्रदर्शन हो रहे हैं। पुलिस ने इस सिलसिले में कोलकाता पुलिस के नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को गिरफ्तार किया था। टीएमसी सरकार और पश्चिम बंगाल पुलिस कठघरे में है। सुप्रीम कोर्ट से लगातार फटकार लग रही है। तनाव बढ़ता देख कलकत्ता हाईकोर्ट ने 13 अगस्त को जांच सीबीआई को सौंप दी थी। इससे पहले कोलकाता पुलिस मामले की जांच कर रही थी।