Bastar Dussehra 2024: विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा की अद्भुत रस्म निशा जात्रा महाअष्टमी और नवमी की आधी रात विधि विधान के साथ संपन्न हो गयी. निशा जात्रा रस्म को काला जादू भी कहा जाता है. शुक्रवार और शनिवार की आधी रात काले जादू की रस्म को निभाया गया. बताया जाता है कि प्राचीन काल में राजा महाराजा बुरी प्रेत आत्माओं से राज्य की रक्षा के लिए अद्भुत रस्म को निभाते थे. रस्म में हजारों बकरों भैंसों समेत नरबलि देने की भी प्रथा थी.
अब निशा जात्रा रस्म की अदायगी मात्र 11 बकरों की बलि देकर की की जाती है. बकरों की बलि जगदलपुर के गुड़ी मंदिर में दी जाती है. बस्तर राजपरिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव ने बताया कि दशहरा में काले जादू की रस्म 1301 से चली आ रही है. काले जादू की रस्म को राजा महाराजा बुरी प्रेत आत्माओं से राज्य की रक्षा के लिए निभाते थे. रस्म में बलि चढ़ाकर देवी को प्रसन्न किया जाता है. कमलचंद भंजदेव ने बताया कि निशा जात्रा की बस्तर के इतिहास का अभिन्न हिस्सा है. समय के साथ-साथ रस्म में जरूर बदलाव आए हैं.
बस्तर दशहरा के काले जादू की रस्म का समापन
उन्होंने कहा कि आज भी रस्म को राज्य की शांति और सुख समृद्धि के लिए निभाया जाता है. अद्भुत निशा जात्रा रस्म को देखने देश-विदेश से भारी संख्या में पर्यटक गुड़ी मंदिर पहुंचते हैं. गौरतलब है कि समय के साथ आज अधिकतर इलाकों की परंपराए आधुनिकीकरण की बलि चढ़ गई हैं.
बस्तर दशहरा की अद्भुत परंपरा आज भी वर्षों से चली आ रही है. बस्तर राजपरिवार, आदिवासी और जनप्रतिनिधि के साथ प्रशासन भी विश्व प्रसिद्ध दशहरा के अद्भुत रस्मों को धूमधाम से निभाते हैं. बस्तर में 75 दिनों तक दशहरा पर्व अनूठे तरीके से मनाया जाता है. बस्तर दशहरा की प्रमुख रस्म निशा जात्रा धूमधाम से महाअष्टमी और नवमी की आधी रात पूरी हुई.
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