नई दिल्ली: साल 1984 में एक फिल्म आई, जिसका टाइटल है- ‘ए पैसेज टू इंडिया’, जिसे डेविड लीन ने डायरेक्ट किया था. इस फिल्म में डॉ अजीज अहमद की भूमिका निभाने वाले एक्टर को खूब सराहा गया. विदेशी सिनेमा ने उनके किरदार को गंभीरता से लिया और उन्हें खूब सराहा. इस एक्टर का नाम है पार्थो सारथी यानि विक्टर बनर्जी, जो 15 अक्टूबर को 78 साल के हो रहे हैं.
विक्टर बनर्जी को ‘ए पैसेज टू इंडिया’ के लिए कई अवॉर्ड मिले. उन्हें साल 1986 में इस रोल के लिए बाफ्टा अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट किया गया, तो इवनिंग स्टैंडर्ड ब्रिटिश फिल्म अवार्ड और एनबीआर अवार्ड (नेशनल बोर्ड रिव्यू, यूएसए) भी दिया गया. विक्टर बनर्जी को अप्रैल 1985 में मोशन पिक्चर एसोसिएशन ऑफ अमेरिका ने ‘न्यू इंटरनेशनल स्टार’ के तौर पर ‘शो-ए-रामा अवार्ड’ से नवाजा.
देसी-विदेशी निर्देशकों के साथ किया काम
विक्टर संपन्न परिवार में जन्में थे. वे काफी पढ़े लिखे हैं. वे राजाओं के वंशज भी हैं. उन्होंने शिलांग स्थित सेंट एडमंड स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा हासिल की थी और कलकत्ता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में ग्रेजुएशन हासिल किया. उन्होंने फिर जादवपुर विश्वविद्यालय में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की. विक्टर बनर्जी ने हिंदी, बांग्ला और अंग्रेजी भाषा की फिल्मों में काम किया है. देश-विदेश के मशहूर डायरेक्टर्स इनकी लिस्ट में शामिल हैं. रोमन पोलांस्की, जेम्स आइवरी, सर डेविड लीन, जेरी लंदन, रोनाल्ड नीम, मृणाल सेन, श्याम बेनेगल, सत्यजीत रे और राम गोपाल वर्मा जैसे निर्देशकों की सरपरस्ती में पर्दे पर हुनर दिखाया.
(फोटो साभार: IANS)
‘शतरंज के खिलाड़ी’ में निभाया था गजब का किरदार
विक्टर बनर्जी शुरू से ही कुछ अलग रहे. बेहद बेबाक और अपने मन के मुताबिक करने वाले. उन्होंने डबलिन में ट्रिनिटी कॉलेज की छात्रवृत्ति को ठुकरा दिया था. इन्हें आयरिश क्रिश्चियन ब्रदर्स के माध्यम से एक ओपेरा टेनर यानि मेन मेल सिंगर के रूप में चुना गया था. आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, वे ‘कलकत्ता लाइट ओपेरा ग्रुप’ के ‘डेजर्ट सॉन्ग’ के निर्माण में मुख्य टेनर थे और उन्होंने बॉम्बे थिएटर के पहली म्यूजिक परफॉर्मेंस ‘गॉडस्पेल’ में ‘जीसस’ की भूमिका भी निभाई थी. सत्यजीत रे की ‘शतरंज के खिलाड़ी’ में भी इस अदाकार ने गजब का किरदार निभाया था. 2003 में ‘जॉगर्स पार्क’ में भी दिखे थे.
एक बार जरूर देखें उनकी फिल्में
विक्टर बनर्जी भारत के एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्होंने तीन अलग-अलग कैटेगरी में ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’ जीते. उन्होंने ‘व्हेयर नो जर्नीज एंड’ नाम के डॉक्यूमेंट्री के लिए एक सिनेमैटोग्राफर के रूप में ‘ह्यूस्टन अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव’ में ‘गोल्ड अवार्ड’ भी जीता था. उन्होंने पर्यटन पर बनी बेस्ट डॉक्यूमेंट्री ‘द स्प्लेंडर ऑफ गढ़वाल एंड रूपकुंड’ के लिए निर्देशन पुरस्कार जीता और सत्यजीत रे की ‘घरे बाइरे’ में अपने काम के लिए ‘बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर’ का पुरस्कार अपने नाम किया था.
सामाजिक कार्यों में भी लेते रहे हिस्सा
विक्टर अपने नाम के अनुरूप ही हैं. सोशल वर्क में हमेशा अव्वल. जब वे कलकत्ता में नहीं होते, तो उत्तराखंड की वादियों में होते हैं. उन्होंने शॉर्ट स्टोरीज लिखी हैं और कई पत्रिकाओं, पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में अलग-अलग सब्जेक्ट पर लेख लिखते रहे हैं. समय-समय पर मानवाधिकार और श्रम मुद्दों में खुद को शामिल किया है. उन्होंने स्क्रीन एक्स्ट्रा यूनियन ऑफ इंडिया के गठन में मदद की और गढ़वाली किसानों के अधिकारों के लिए भी कैंपेन चलाया. श्रीमंतो शंकरदेव आंदोलन के ‘ब्रांड एंबेसडर’ हैं. एक ऐसा मूवमेंट जो असम में 15वीं शताब्दी में पहली बार शुरू की गई नव-वैष्णव संस्कृति को पुनर्जीवित कर रहा है. पूर्वी हिमालय में बसने वाली सिनो-तिब्बती जनजातियों में से एक ‘दिमासा जनजाति’ के ‘ब्रांड एंबेसडर’ भी हैं. विक्टर बनर्जी का व्यक्तित्व विशाल है. उन्हें 2022 में सरकार ने पद्म भूषण से भी नवाजा था.
Tags: Bollywood actors, Bollywood news
FIRST PUBLISHED : October 14, 2024, 21:18 IST